बजट क्या है? कैसे बनता है? दोस्तो मिडिल क्लास फैमिली में हर महीने एक नया बजट बनता रहता है। क्योंकि एक बजट की मदद से ही एक मिडल क्लास परिवार का गुजारा होता है। लेकिन एक छोटे घर के लिए बजट बनाना आसान है और जरूरी भी है।
लेकिन क्या आप जानते है की देश को सही से चलाने के लिए भी बजट बनाना जरूरी है? दोस्तो जब भी हमारे देश में नया वित्तीय वर्ष शुरू होता है तो नया बजट पेश किया जाता है।
और किसी भी देश के लिए उसकी आर्थिक विकास के लिए, कारोबार के लिए और छोटे आम आदमी के लिए भी बजट बहुत महत्वपूर्ण होता है और बजट के बारे में जानकारी रखना भी जरूरी है।
तो ऐसे में क्या आप जानते है की बजट क्या होता है? देश का बजट कौन बनाता है? देश का बजट कैसे बनता है? यदि नही जानते हैं तो आज आप सही जगह पर आए है।
आज के इस आर्टिकल में मैने बजट से जुड़ी जानकारी दी है। तो आइए जानते हैं कि बजट से जुड़ी जानकारी हिंदी में…
भारत का बजट या केंद्रीय बजट, जिसे भारत के संविधान के Article 112 में एन्नुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट के रूप में भी जाना जाता है, जो की भारत गणराज्य का वार्षिक बजट है।
सरकार इसे फरवरी के पहले दिन पेश करती है ताकि अप्रैल में नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले इसे अमल में लाया जा सके। बजेट को वित्त मंत्री द्वारा फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर संसद में पेश किया जाता था।
वित्त मंत्रालय में department of economic affairs बजट तैयार करने के लिए जिम्मेदार नोडल निकाय है। इसे वित्त विधेयक के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है और भारत के लोकसभा में भी इसे पास करना होता है, ताकि इसे भारत के वित्तीय वर्ष की शुरुआत में यानी की, 1 अप्रैल से देश में लागू किया जा सके।
इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए बता दे की, 1947 से अब तक कुल 73 वार्षिक बजट, 14 अंतरिम बजट और चार विशेष बजट या मिनी बजट पेश हो चुके हैं।
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तो दोस्तो अब तक आपको यह जानकारी मिल चुकी होगी की बजट क्या होता है? केंद्रीय बजट क्या होता है? उससे जुड़ी बेसिक जानकारी आप अच्छे से जान चुके होगे। आइए अब आगे जानते हैं कि आखिर ये देश का केंद्रीय बजट कौन बनाता है?
बजट कौन बनाता है? बजट एक कंसल्टेटिव प्रोसेस के माध्यम से बनाया जाता है जिसमें वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और खर्च करने वाले मंत्रालय शामिल होते हैं।
वित्त मंत्रालय खर्च के लिए गाइडलाइन जारी करता है जिसके आधार पर मंत्रालय अपनी मांगें पेश करते हैं। वित्त मंत्रालय में डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमी अफेयर हर साल केंद्रीय बजट तैयार करता है जो वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
दोस्तो देश में जब भी कोई नई सरकार बनती है तो उनका सबसे पहला काम होता है बजट बनाना, लेकिन क्या आप जानते है की आखिर बजट बनाना क्यों जरूरी है? आइए जानते हैं…
देश में जब कोई नई सरकार बनती है तो उनकी कुछ राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक जिम्मेदारियां होती हैं। इसके अलावा हमारा देश एक वैविधता से भरपूर है तो ऐसे में सही जगह पर सही लाभ मिलना, पैसे का सही जगह पर उपयोग होना भी जरूरी है।
ताकि देश में जहां पर सबसे ज्यादा जरूरत है उन्हे सही सहूलियत मिल सके और देश ने स्थिरता बनी रहे। इसके अलावा कई सारे कारण है जिसके लिए देश में एक अच्छा बजट होना जरूरी है।
नीचे मैने कुछ कारण बताए है की आखिर देश में एक अच्छा बजट होना क्यों जरूरी है…
हमारे देश में कुछ एरिया कमजोर है तो कुछ एरिया भरपूर है। जब बजट बनाते है तो सरकार को ऐसे कमजोर क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इस वजह से सरकार सही जगह पर देश में रिसोर्सेज को एलोकेट करने में मदद मिलती है।
बजट की मदद से ही सरकार पब्लिक के लिए नई योजनाएं बनाने में भी मदद मिलती है।
दोस्तो जैसा की आपको उपर बताया कि बजट की मदद से सरकार को सही लोगो के लिए सही योजनाएं बनाने में मदद मिलती है, इस वजह से देश में असामनता भी कम होती है। जब सही योजनाओं का लाभ सही लोगो तक पहुंचता है तब लोगो को लाभ भी होता है और कमजोर लोगों को सहारा भी मिलता है।
बजट की मदद से ही सरकार को यह जानकारी मिलती है की अलग अलग सेक्टर कैसा परफॉमेंस दे रहे है? अलग अलग सेक्टर ने टैक्स रेट क्या है? इसके अलावा देश के आर्थिक विकास के लिए उसके खर्च और इन्वेस्टमेंट का बड़ा महत्व होता है।
ऐसे में सरकार टैक्स पर सब्सिडी देकर लोगो की अधिक बचत और इन्वेस्टमेंट को भी बढ़ावा देती है तो इससे देश में आर्थिक विकास भी होता है।
किसी भी देश की आर्थिक विकास इस देश के कारोबार पर भी निर्भर होता है। ऐसे में कारोबार की ग्रोथ होना भी जरूरी है। इसके अलावा कारोबारियों की नजर हमेशा से ही बजट पर रहती है, क्योंकि इसी की वजह से रिसोर्स को अलग अलग सेक्टर में बाटा जाता है।
इसके अलावा बजट की मदद से सरकार पॉलिसी में बदलाव करती है और कारोबारियों को प्रोत्साहित भी करती है। देश में कारोबार की वजह से आर्थिक संपत्ति भी आती है।
बजट बनाना क्यों जरूरी है जानने के बाद आइए अब जानते है की देश की सरकार कैसे अपना बजट बनाती है? देश में केंद्रीय बजट कैसे बनता है?…
वित्त मंत्रालय में डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमी अफेयर हर साल केंद्रीय बजट तैयार करता है जो वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। केंद्रीय बजट एक एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट है जो किसी विशेष वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार के रेवेन्यू और एस्टिमेंट खर्च से अनुमानित कमाई को समाहित करता है।
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यह आगामी फाइनेंशियल वर्ष में देश के लिए एक फाइनेंशियल रोडमैप तैयार करता है। केंद्रीय बजट को तैयार करना, उसको प्रेंसेंट करना और अमली में लाने में कई स्टेप शामिल हैं। केंद्रीय बजट बनाने के लिए और उसको तैयार होने में जो प्रोसेस होती है, उसको मैने स्टेप बाय स्टेप नीचे बताया है…
देश में बजट बनाने के लिए उसकी शुरुआत लगभग छह महीने पहले अगस्त-सितंबर में शुरू होती हैं। जिसके दौरान देश के फाइनेंस मिनिस्ट्री सभी मिनस्ट्रीज और डिपार्टमेंट को बजट से जुड़े फॉर्म और गाइडलाइन भेजी जाती है।
बाद में इन परिपत्रों को उस फील्ड अधिकारियों के बीच वितरित किया जाता है जो चालू और पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान अपने विभाग के वित्तीय खर्च और प्राप्तियों और आगामी वित्तीय वर्ष के लिए उनकी वित्तीय आवश्यकताओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
बाद में अब ग्राउंड लेवल अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा और अनुमानों की जांच उनके विभागों के टॉप अधिकारियों द्वारा की जाती है। उसके बाद डाटा अप्रूवल के बाद फिर से डेटा को उससे उपरी संबंधित मंत्रालयों को भेजे जाते हैं जहां उनकी फिर से इस डाटा की जांच की जाती है। इन सबके बाद ही, डाटा को आखिर में वित्त मंत्रालय के पास भेजे जाते हैं।
वित्त मंत्रालय फिर से आगे इनकी जांच करता है और वर्तमान आर्थिक स्थिति और उपलब्ध रिसोर्स के साथ अनुमानों को उनकी feasibility निर्धारित करने के लिए सह-संबंधित करता है।
हर पहलू का सावधानीपूर्वक एनालिसिस करने के बाद, वित्त मंत्रालय अपने अलग अलग एडमिनिस्ट्रेटिव मंत्रालयों को रेवेन्यू एलोकेट करता है और नई पब्लिक वेलफेयर स्कीम तैयार करता है।
इस समय भी कई बार रिसोर्सेज को एलोकेट करते वक्त अलग अलग मंत्रालयों के बीच विवाद भी हो जाता है। ऐसे समय में हमारे वित्त मंत्रालय केंद्रीय मंत्रिमंडल या प्रधान मंत्री से परामर्श करता है। ऐसे में इनका डिसीजन ही आखिरी होता है।
future expenditures के लिए रिसोर्सेज का एलोकेट पूरा करने के बाद, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Excise) के सहयोग से वित्त मंत्रालय आगामी वित्तीय वर्ष में उत्पन्न होने वाले अनुमानित रेवेन्यू की एक रिपोर्ट तैयार करता है।
आखिर में, दोनों रिपोर्टों को फाइनल केंद्रीय बजट तैयार करने के लिए consolidated किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, वित्त मंत्रालय के विभिन्न विभाग अधिक insights प्राप्त करने और एक कुशल बजट तैयार करने के लिए पब्लिक डोमेन में हितधारकों से परामर्श करते हैं।
केंद्रीय बजट की प्रिंटिंग की प्रोसेस एक परंपरा, ‘हलवा समारोह‘ के साथ शुरू होती है। जिसमे वित्त मंत्री और उनके अन्य अधिकारियों और बजट बनाने के लिए शामिल सभी कर्मचारियों के साथ हलवा खाते हैं। हलवा खाने की परंपरा पूरी होने बाद ही केंद्रीय बजट की प्रिंटिंग शुरू होती है।
इस प्रोसेस के दौरान, बजट बनाने में शामिल सभी अधिकारी और कर्मचारी बाहरी दुनिया के किसी भी संपर्क से अलग रहते है, क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी है कि संसद में पेश किए जाने से कुछ दिन पहले बजट में क्या शामिल गया है।
सबसे आखिर में केंद्रीय बजट वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से, केंद्रीय बजट एक निर्धारित तारीख पर, 1 फरवरी को पेश किया जाता है। एक चुनावी वर्ष में, बजट दो बार तैयार किया जाता है और पेश किया जाता है।
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तो दोस्तो उपर जो 5 स्टेप बताए है, इन्ही को फॉलो करके हमारे देश में केंद्रीय बजेट तैयार किया जाता है। अब आपको जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी की बजट तैयार कैसे होता है?
दोस्तो आज के इस आर्टिकल में आपने जाना की बजट क्या है? बजट कैसे बनता है? देश का केंद्रीय बजट कौन बनाता है और देश का बजट बनाना क्यों जरूरी है और इसके अलावा बजट के बारे में हिंदी में जानकारी भी जानी।
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद अब आपको बजट से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल चुके हैं। फिर भी आपको इस आर्टिकल “बजट क्या है? बजट से जुड़ी जानकारी हिंदी में” लेकर कोई सवाल है या कोई जानकारी शामिल करवाना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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