Gateway Of India History In Hindi : गेटवे ऑफ़ इंडिया का इतिहास –
Gateway Of India History In Hindi: भारत एक ऐतिहासिक देश है, जिसका इतिहास बहुत ही पुराना और ऐतिहासिक रहा है। आज तक भारत में बहुत से लोगो ने राज किया, लेकिन सबसे ज्यादा राज अंग्रेजो ने किया।
अंग्रेजो ने भारत में कई सारी ऐसी ऐतिहासिक जगह बनाई है, उसी में Gateway Of India भी अंग्रेजो ने बनाया था।
गेटवे ऑफ़ इंडिया अंग्रेजो के शासन काल में बना उसके बाद उनके शासन का अंत का भी साक्षी रहा है।
मुंबई शहर में पुरानी इमारतों एंव एतिहासिक स्मारकों में गेटवे ऑफ इंडिया पहले नंबर पर आता है। गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई शहर के दर्शनीय स्थल में ही नहीं भारत के दर्शनीय स्थलों में शामिल किया गया है।
ब्रिटीश राज में बना गेटवे ऑफ़ इंडिया अपने आप में अनेक इतिहास को संजोय हुए है। आज यहाँ का नजारा बहुत ही खुबसुरत और देखने लायक है।
यहाँ पर महासागर पर नोका की सवारियों ने गेटवे ऑफ़ इंडिया की और लोगों को खूब आकर्षित किया है।
नीचे मैने Gateway Of India के बारे में, उसके इतिहास के बारे में जानकारी बताई है तो आइए जानते है…
गेटवे ऑफ़ इंडिया मुंबई शहर की शान है, जो मुंबई शहर के दक्षिण दिशा में समुंद्र तट पर बनाया गया एक स्मारक है। गेटवे ऑफ इंडिया को दूसरे शब्दो में हम भारत का प्रवेशद्वार के नाम से भी जाना जाता है।
गेटवे ऑफ़ इंडिया को ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान बनाया गया था। ब्रिटिश राज में बना यह गेटवे ऑफ इंडिया अपने आप में बहुत ख़ास है।
इतिहासकारों के अनुसार जब 1911 में ब्रिटिश सम्राट जोर्ज पंचम और क्वीन मैरी भारत में पहली बार आये, तब उस समय उनके आवागमन की ख़ुशी में गेटवे ऑफ इंडिया बनाने का निर्णय लिया गया।
गेटवे ऑफ इंडिया स्मारक बनाने की आधारशिला मार्च 1913 में रखी गई थी। बाद में उनकी डिजाइन बनाई गई, लेकिन फाइनल डिजाइन को 1914 में स्वीकार किया गया। और Gateway Of India बनाने का काम शुरू किया गया।
Gateway Of India को तैयार होने में 11 साल लग गए। गेटवे ऑफ़ इंडिया पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ 1924 में, और इसे बनाने की लागत करीब 21 लाख रूपए आई थी जो की आज के टाइम में 21 करोड़ के बराबर थे।
इस गेट को बनाने के लिए इसमें भारतीय और अरबी वास्तुकला शैली का उपयोग किया गया। गेटवे ऑफ़ इंडिया का व्यास 49 फिट है और उसकी उंचाई करीब 85 फीट है जो की अनेक मंजिलों के बराबर है।
मुंबई का यह सबसे ऊँचा गेट अपने आप में बहुत ख़ास है। आज पर्यटकों का मुख्य आकर्षण बना हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है की जिस जगह पर गेटवे ऑफ इंडिया बनाया गया था।
उस जमीन का उपयोग मछली पकड़ने वाले समुदाय के लोग करते थे। बाद में उस जमीन को पुनर्निर्मित किया गया और ब्रिटिश सरकार के गवर्नर और कुछ प्रमुख लोगो ने लैंडिंग स्थल के रूप में इसका उपयोग करने लगे।
महासागर के समीप बना हुआ गेटवे ऑफ़ इंडिया अपने आप में एक और इतिहास रखता है, कहते हैं की जब अंग्रेजो ने भारत को छोड़ा तो आखिरी बार अंग्रेज इसी गेट से निकलकर भारत से समुन्द्र के रस्ते से रवाना हुए थे।
गेटवे ऑफ़ इंडिया पर की गई कलाकारी सभी को अपनी और आकर्षित करती है। यहाँ वास्तुकला के माध्यम से गुजराती वास्तुकला, इंडो-सारसेनिक शैली से यहाँ पर अनेक चित्रकारी और एतिहासिक स्मारक बनाये गये है।
ब्रिटिशों द्वारा निर्माण किया गया यह पहला ऐसा स्मारक है जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों के ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
गेटवे ऑफ़ इंडिया के उपर चार मीनारे भी बनाई गई है। माना जाता है इसमें एक मीनार पर एक लाख रूपए का खर्च आया है तो इसका साधारण डिजाइन पेरिस के वास्तुकार जोर्ज विटेट ने बनाया था।
गेटवे ऑफ़ इंडिया भारत की ऐतिहासिक जगह है, यदि आप कभी भी मुंबई जाते है तो इस जगह पर आपको एकबार जरूर विजिट करना चाहिए। अंग्रजों द्वारा भारत पर हुए शासन का भी गवाह रहा है गेटवे ऑफ़ इंडिया।
आप गेटवे ऑफ़ इंडिया चार रास्तों से आ सकते हैं, जलमार्ग, सड़कमार्ग, हवाई और रेलमार्ग चारों मार्ग आपको गेटवे ऑफ़ इंडिया तक पहुंच सकते हैं।
अगर आप मुंबई जाते है गेटवे ऑफ़ इंडिया देखना कभी ना भूले। यह एतिहासिक जगह आपको नजदीक से देखने पर अनेक इतिहासों को प्रदर्शित करेगी।
तो दोस्तो आज के इस आर्टिकल में मैंने आपको Gateway Of India History In Hindi के बारे में बताया, इसके अलावा गेटवे ऑफ़ इंडिया से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी जाने।
मुझे उम्मीद है कि आपको यह जानकारी हेल्पफुल लगी होगी। यदि आपको इस आर्टिकल को लेकर कोई सवाल है या आप कोई जानकारी शामिल करवाना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Ans: Gateway Of India का निर्माण 1924 में हुआ था, तो इस हिसाब से आज गेटवे ऑफ इंडिया 97 साल पुराना है।
Ans: गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण George Wittet ने किया था।
Ans: गेटवे ऑफ इंडिया 4 December 1924 को बनाया गया था।
Ans: यह अरब सागर की ओर मुख किए हुए अपोलो बंदर पर स्थित है। अपोलो बंदर को पहले के दिनों में एक जेटी के रूप में इस्तेमाल किया जाता था लेकिन बाद में इसे ‘भारत के प्रवेश द्वार’ (gateway to India) के रूप में उपयोग करने के लिए पुनर्निर्मित किया गया था।
बाद में ब्रिटिश सम्राट जब भारत आए तो उनके प्रवेश के लिए इस गेट का उपयोग किया गया, इसी वजह से इसको गेटवे ऑफ़ इंडिया कहा जाता है।
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