ICDS Kya Hai?, किसी भी देश का भविष्य छोटे बच्चे और महिलाएं होती है. ऐसा मेरा मानना है.

क्योंकि यदि देश की महिलाए एजुकेटेड होगी, उनकी हेल्थ सही होगी तो वे अपने बच्चे के अलावा परिवार का भी ख्याल रखेगी, तो आगे जाकर यही बच्चे देश का भविष्य बनेंगे.

लेकिन इससे पहले जब हमारा देश आजाद हुआ तब हमारे देश में गरीबी और अज्ञानता के कारण कई बच्चे और महिलाएं रोग से पीड़ित थे.

ऐसे में देश की आजादी के बाद हमारे देश की सरकार ने इस परेशानी का हल निकालने के लिए एक योजना जारी की, जिसके तहत कुपोषण के शिकार बच्चों को पोषण देना एंव गर्भवती महिलाओं को पौषण देना था.

इस योजना का नाम था ICDS यानी एकीकृत बाल विकास परियोजना (Integrated Child Development Services). आज के इस आर्टिकल में ICDS Kya Hai? के बारे में और उससे जुड़ी सारी जानकारी दी है।

तो आइए जानते है…

ICDS Kya Hai?

ICDS का फुल फॉर्म एंव परिचय

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महिला एंव बाल विकास मंत्रालय द्वारा गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर 1975 को ICDS योजना की शुरुआत की गई.

ICDS की फुल फॉर्म है: Integrated Child Development Service” जिसे हिंदी में एकीकृत बाल विकास योजना कहा जाता है.

भारत सरकार द्वारा जारी अनेक योजनाओं में से इस योजना को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.

1975 में ही भारत सरकार ने देश में कुपोषण के शिकार बच्चों की पहचान करी, इस योजना के माध्यम से उन्हें लाभ पहुँचाया.

आज देश में विकलांग, गरीब और कुपोषण के शिकार 0-6 वर्ष के बच्चो पर इस योजना के माध्यम से ध्यान रखा जाता है.

उन्हें समान्य जीवनयापन के लिए सरकार इसी योजना के माध्यम तैयार करती है. आज इस योजना में अनेक बदलाव हुए है, लेकिन बच्चों को पहले से ज्यादा लाभ प्राप्त होने लगा है.

ICDS (एकीकृत बाल विकास सेवा) क्या है?

एकीकृत बाल विकास सेवा भारत सरकार का एक कल्याणकारी योजना है जिसके माध्यम से गर्भवती महिला, स्तनपान करवाने वाली महिला एंव 0-6 वर्ष के बच्चों को भोजन, शिक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य की देखभाल प्रदान किया जाता है.

ताकि पैदा होने वाला बच्चा या नवजात बच्चा किसी भी तरह के कुपोषण का शिकार ना हो और महिला का स्वास्थ्य अच्छा रहे इसलिए उन्हें अच्छा पौषण देने का प्रयास करती है.

हालाँकि अब इस योजना में कुछ बदलाव किये गये है, अब इस योजना में विकलांग बच्चों को ज्यादा प्रियोरिटी दी जाती है.


ऐसा पहले भी था लेकिन उस समय बच्चों को चिन्हित नहीं किया जाता था. लेकिन अब विकलांग बच्चो को चिन्हित किया जाता है ICDS की तरफ से उनका फ्री में ईलाज होता है.

ICDS योजना में किस प्रकार से काम होता है?

महिला एंव बाल विकास मंत्रालय द्वारा लॉन्च की गई योजना ICDS को आगे बढाने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी केंद्र की होती है. इस केंद्र में लगी हुई सेविका अपने गाँव अपने क्षेत्र में सर्वे करती है.

अगर कोई महिला गर्भवती है, कोई महिला अभी माँ बनी है या कोई विकलांग बच्चा है तो उन्हें चिन्हित करती है और ICDS केंद्र में उनकी लिस्ट भेजती है.

जैसे ही लिस्ट केंद्र के पास पहुँचती है वह लिस्ट में शामिल महिला एंव बच्चो के लिए एक पैकेज निकालती है.

इस पैकेज  में बच्चे और माँ दोनों के स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है. उन्हें अच्छी हेल्थ डाईट के साथ स्वास्थ्यवर्धक दवाएं दी जाती है और समय-समय पर उनका चैकअप होता है।

ICDS पैकेज में क्या होता है?

ICDS की तौर से मुख्य रूप से यह छ: सेवायें प्रदान की जाती है, इन सेवाओ की मदद से वह बच्चे को तब तक तैयार करती है जब तक वह पूरी तरह से समझदार नहीं हो जाते है.

ICDS के पैकेज में शामिल सेवायें नीचे दी गई है –

  1. सप्लीमेंट्री न्यूट्रिशन
  2. हेल्थ और न्यूट्रिशन चेक अप
  3. इम्यूनाइजेशन
  4. हेल्थ और न्यूट्रिशन का एजुकेशन
  5. रेफरल सर्विसेज
  6. प्री-स्कूल में बच्चों के लिए नॉन फॉर्मल शिक्षा

1. सप्लीमेंट्री न्यूट्रिशन

आईसीडीएस के इस सेक्शन के तहत, देश में गांव के भीतर 6 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं की पहचान की जाती है.

और उन्हें पौष्टिक आहार और विकास निगरानी सेवाएं प्रदान की जाती हैं. इसके अलावा इस योजना के तहत लाभार्थियों को 300 दिनों का पौष्टिक आहार भी दिया जाता है.

इस सेक्शन में योजना का यही उद्देश्य होता है की इससे देश के बच्चे और गर्भवती महिलाए जो गरीबी रेखा के अंदर आते है उन्हें अच्छा आहार और पौष्टिक आहार दिया जाए.

2. हेल्थ और न्यूट्रिशन चेक अप

इसमें छह साल से कम उम्र के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल, गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व देखभाल और नर्सिंग माताओं की प्रसवोत्तर देखभाल शामिल है.

इसके अलावा इसमें दी जाने वाली सेवाओं में नियमित health check-ups, diarrhoea का उपचार, deworming (कृमि मुक्ति), वजन रिकॉर्ड करना, टीकाकरण और दवाओं का वितरण करना शामिल है.

3. इम्यूनाइजेशन

इस योजना में बच्चों को योग्य बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा के लिए दवाइयों को सही टीकाकरण दिया जाता है, जिसके तहत डिप्थीरिया, पोलियो, काली खांसी, खसरा, टीबी और टेटनस जैसा टीकाकरण शामिल है.

इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को टिटनेस के टीके दिए जाते हैं जिससे नवजात और मातृ मृत्यु दर में कमी आती है.

4. हेल्थ और न्यूट्रिशन का एजुकेशन

इस योजना के सेक्शन के तहत 15 से 45 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं को पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के लिए कवर किया जाता है.

इस सेक्शन में महिलाओं की क्षमताओं का निर्माण करना है ताकि वे अपने स्वास्थ्य, पोषण और विकास की जरूरतों के साथ-साथ अपने बच्चों और परिवारों की देखभाल कर सकें.

5. रेफरल सर्विसेज

नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान, किसी भी स्थिति या बीमारियों के मामले में तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है, उसे अस्पताल या किसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आदि में भेजा जाता है.

आंगनबाडी के कार्यकर्ताओ को बच्चों में अक्षमता का पता लगाने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है ताकि शीघ्र हस्तक्षेप किया जा सके और बच्चो को आगे होने वाली बीमारियों से बचाया जा सके.

6. प्री-स्कूल में बच्चों के लिए नॉन फॉर्मल शिक्षा

योजना का यह सेक्शन आईसीडीएस योजना का सबसे महत्वपूर्ण माना जा सकता है. योजना की सभी सेवाएं गांवों और ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केंद्रों और शहरी मलिन बस्तियों में मिलती हैं.

इस योजना को मुख्य रूप से उन वंचित बच्चों के लिए है और उन्हें पूर्वस्कूली शैक्षणिक विकास के लिए आवश्यक इनपुट पर जोर देने के साथ एक naturally, आनंदमय और उत्तेजक वातावरण प्रदान करने की दिशा में निर्देशित किया जाता है.

आईसीडीएस का प्रारंभिक शिक्षण का सेक्शन cumulative life learning और विकास को आधार प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट है.

इसमें बच्चे को प्राथमिक विद्यालयों के लिए आवश्यक तैयारी करवाता है और बड़े भाई-बहनों को इसके भी विशेषकर लड़कियों को परिवार में छोटे बच्चों की देखभाल करना भी सिखाया जाता है.

ICDS का उद्देश्य क्या है?

महिला बाल विकास मंत्रालय हमेशा बच्चो को ICDS यानि एकीकृत बाल विकास योजना तहत भारत का एक अच्छा भविष्य बनाना चाहती है.

योजना का उद्देश्य भारत में नए पैदा हुए बच्चों को अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ बड़ा करना है. ताकि वह एक अच्छा भारत बना सके इसके अलावा इस योजना के निम्न उद्देश्य हो सकते है –

  • 0-6 वर्ष के बच्चो का स्वास्थ्य एंव शिक्षा दोनों में सुधार करना.
  • बच्चो द्वारा स्कूल छोड़ने की दर को कम करना.
  • कुपोषित एंव विकलांग बच्चो को एक नई जिंदगी देने का प्रयास.
  • प्री-स्कुल
  • बच्चे एंव माओ को अच्छा स्वास्थ्य देना और बाल विकास में बढ़ावा देना.
  • भ्रूण हत्या को कम करना इत्यादि.

ICDS योजना का लाभ क्या है?

ICDS योजना के अनेक लाभ है और आज भारत का हर बच्चा एंव माँ इस योजना का लाभ उठा चुकी है या उठा रही है.

इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यही है की यह गरीब से गरीब बच्चे एंव उसकी माँ को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान कर रही है.

इतना ही नहीं बच्चे को कुपोषण से बचाया जा रहा है. एक समय था जब भारत में अनेक बच्चे कुपोषण के शिकार थे लेकिन बीते कुछ दशको में पूरी तरह से आंकड़ा बदल गया है.

बच्चे को अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य और बच्चे की माँ को अच्छा स्वास्थ्य मिल रहा है.

इस योजना के माध्यम से बच्चे की शुरुआती शिक्षा एंव स्वास्थ्य की फ़िक्र घर वालो को ना होकर सरकार को होती है.

कुलमिलाकर यह योजना छोटे बच्चों के लिए एंव बच्चो की माओं के लिए काफी लाभदायक है.

Final Conclusion:

दोस्तो आज के इस आर्टिकल में आपने एकीकृत बाल विकास परियोजना यानी ICDS Kya Hai? इस योजना के बारे में और उससे जुड़ी जानकारी दी हैं.

मुझे उम्मीद है कि आपको यह जानकारी हेल्पफुल लगी होगी. यदि आपको इस आर्टिकल को लेकर कोई सवाल है तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.

FAQ On ICDS योजना –

Q. ICDS (Integrated Child Development Services) योजना की स्थापना कब हुई?

Ans: ICDS योजना की स्थापना सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1860 के अंतर्गत सन् 1966 में नई दिल्ली में हुई. इस योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर 1975 को शुरुआत की गई.

Q. समेकित बाल विकास योजना (ICDS) के मुख्य कार्यक्रम कौन कौन से हैं?

Ans: समेकित बाल विकास सेवा योजना यानी ICDS में टीकाकरण, पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य चेकअप, प्रेस्कूलिंग एजुकेशन जैसे कार्यक्रम शामिल है.

Q. एकीकृत बाल विकास सेवाएं योजना के लाभार्थी कौन है?

Ans: एकीकृत बाल विकास सेवाएं योजना उद्देश्य किशोरियों को सुगमता प्रदान करना, शिक्षित करना और सशक्त बनाना है ताकि उनके पोषण और स्वास्थ्य स्तर में सुधार के माध्यम से उनको आत्मनिर्भर तथा जागरूक नागरिक बनाया जा सके. इस योजना के अंतर्गत सभी बच्चे और गर्भवती महिलाओं लाभार्थी है।

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