लाल किला कब बना था? तो आपको बता दें की लाल किला भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। यह मुगलों की एक ऐतिहासिक धरोहर स्थल है। यह किलाबंद पुरानी दिल्ली में स्थित है।
इस किले का निर्माण महान मुगल शासक शाहजहां ने करवाया था। दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको लाल किला से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे Lal kila kab bana tha? लाल किले का इतिहास और इसको किसने बनाया था।
लाल किला कब बना था? लाल किले का इतिहास क्या हैं?
शाहजहां के काल को मुगलों का स्वर्णिम काल कहा जाता है क्योंकि शाहजहां ने कई इमारतें, भव्य महलो एवं किलों का निर्माण करवाया है। शाहजहां की सर्वश्रेष्ठ कृतियों में एक कीर्ति लाल किले की भी है,जो लाल रंग के बलुआ पत्थर से निर्मित है।
इसलिए इस किले का रंग लाल है। इस किले का निर्माण करवा कर मुगलों के पांचवे शासक शाहजहां ने किस किले को अपनी राजधानी के रूप में स्थापित किया था।
इस भव्य एवं ऐतिहासिक किले को वर्ष 2007 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया गया। आइए जानते हैं लाल किला के इतिहास और लाल किला कब बना था? के विषय में संपूर्ण जानकारी के विषय में।
लाल किले का इतिहास (History of Red Fort) –
लाल किले का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि ताजमहल और आगरा का किला। लाल किला ताजमहल के भांति ही यमुना नदी के किनारे स्थित है।
इसी नदी के किनारे लाल कोट के राजा पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी। यह राजधानी 12 वीं सदी के अंतिम चरण में थी। यमुना नदी का जल लाल किले को घेरे हुए हैं। यमुना नदी का जल किले की चारों ओर की खाई को भरता था।
इसके पूरा एवं उत्तर के और की दीवार एक पुराने किले से सजी हुई थी जिसे सलीम गढ़ का किला कहा जाता है। सलीम गढ़ के किले का निर्माण इस्लाम शाह सूरी ने वर्ष 1546 में करवाया था। लाल किले का पुनर्निर्माण वर्ष 1638 में शुरू हुआ था और 1648 में इसे बनाकर तैयार किया गया।
लोग इसे लाल कोट का एक पुराना किला या नगरी बताते हैं। इस लालकोट पर कब्जा करके शाहजहां ने इसे ध्वस्त करवाया और पुनः यहां पर लाल किले का निर्माण करवाया
Lal kila kab bana tha? की बात करें तो बता दें कि इतिहासकार के अनुसार लाल किले का असली नाम लालकोट है। जिसे दिल्ली के शासक आनंदपाल द्वितीय द्वारा सन 1060 ईस्वी में बनाया गया था।
बाद में पृथ्वीराज चौहान ने इसकी लेख की मरम्मत करवाई थी। भले ही लाल किले को एक मुस्लिम शासक ने बनवाया, परंतु आज भी लाल किले को एक हिंदू महल साबित करने के लिए हजारों साक्ष्य मौजूद हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं अकबरनामा और अग्नि पुराण दोनों में ही इस बातों का वर्णन है कि महाराजा अनंगपाल ने ही भव्य और आलीशान दिल्ली का निर्माण करवाया था। महाराजा अनंगपाल को ही दिल्ली की स्थापना का श्रेय जाता है।
लाल किले के किसी खास महल के अंदर सूअर के मुंह वाले चार अंदर लगे हुए हैं। इस्लाम में सूअर को हराम माना जाता है साथ ही साथ इस किले के बाहरी द्वार पर हाथी की एक मूर्ति अंकित है जिसे राजपूताना हाथियों के प्रति अपने प्रेम के लिए समर्पित है।
इसी किले के अंदर दीवाने खास में केसर कुंड नाम एक कुंड निर्मित है। जिसके फर्श पर कमल का पुष्प अंकित है, जोकि राजपूताना शैली में बनी हुई है।
लाल किले में आज भी कुछ गज की दूरी पर एक देवाले बना हुआ है। जिसमें एक जैन मंदिर और दूसरा गौरी शंकर मंदिर देखने को मिलता है। जो कि शाहजहां से कई शताब्दी पहले राजपूत राजाओं ने बनवाया था।
वही लाल किले के मुख्य द्वार के ऊपर एक अलमारी बनी हुई है जिससे यह पुख्ता प्रमाण मिलता है कि यहां पहले गणेश जी की मूर्ति रखी हुई थी जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवता है।
लाल किले के अंदर दीवाने आम बना हुआ है। जिस पर 11 मार्च 1783 को सिखों ने कब्जा कर लिया था। इस प्रकार के कारनामों का नेतृत्व करोर सिंघिया मिस्ल के सरदार बघेल सिंह ने धारीवाल नामक कमान से किया। और इनका समर्थन नगर के मुगल वजीरो ने किया।
लाल किला का निर्माण (Construction of Red Fort) :
लाल किले का निर्माण सलीमगढ़ के पूर्वी छोर पर हुआ है। लाल किले का नाम लाल किला बलुआ पत्थर की प्राचीर दीवारों के कारण मिला। यही पत्थर लाल किले के चारों दीवारों का निर्माण करती है।
इस दीवार की लंबाई 1.5 मील है। और नदी के किनारे से इसकी ऊंचाई 60 फीट तथा 110 फीट ऊंचाई पर शहर की ओर स्थित है। लाल किले के निर्माण से पहले इसकी एक विस्तृत योजना तैयार की गई थी।
और इसी योजना के आधार पर लाल किले का निर्माण हुआ इसके नाप जोक से यह पता चलता है, कि इसकी योजना 82 मीटर की वर्ग एक कार ग्रेड का प्रयोग कर बनाई गई थी।इसी योजना के आधार पर इसका निर्माण हुआ।
परंतु इसके मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया गया। 18 वीं सदी के दौरान कुछ असामाजिक तत्व लुटेरों एवं आक्रमणकारियों द्वारा लाल किले के कई भागों को काफी क्षति पहुंचाई गई।
विदित है कि 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाल किले को ब्रिटिश सेना अधिकारियों ने अपने मुख्यालय के रूप में प्रयोग किया। अंग्रेजों की सेनाओं ने इसके करीब 80% मंडे को को तथा उद्यानों को काफी क्षति पहुंचाई एवं नष्ट कर दिया गया।
जो मंडप एवं उद्यान नष्ट हुए उन भागों को पुणे निर्मित करने का प्रयास किया गया। सन 1930 में उमेद दानिश द्वारा इन भागों को पुनर्स्थापित किया गया।
लाल किले के निर्माण के समय उच्च स्तर की कला का प्रयोग किया गया। लाल किले की कलाकृतियां यूरोपीय भारतीय एवं फारसी कला का सम्मिश्रण है।
साथ ही साथ इसका निर्माण विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहानी शैली में किया गया था। यह एक उत्कृष्ट शैली है। लाल किला दिल्ली की एक महत्वपूर्ण इमारत समूह में एक है। जो भारतीय इतिहास एवं उसकी संस्कृति को अपने में समेटे हुए हैं।
इसका महत्व समय के साथ बढ़ता ही गया यह किला वास्तुकला से संबंधित प्रतिभा एवं शक्ति का प्रतीक है। 1913 में इस स्थल को राष्ट्रीय महत्व स्मारक के रूप में घोषित कर जाने पर इस महल को संरक्षित एवं प्रतिरक्षी करने हेतु प्रयास किए गए। इसकी दीवारों की नकाशी काफी सूक्ष्मता से तराशी गई है।
यह दीवार दो मुख्य द्वारों पर खुलती है दिल्ली दरवाजा एवं लाहौर दरवाजा। लाहौर दरवाजा को इसका मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है। इस द्वार के अंदर एक बहुत लंबा बाजार हैं, जिसे चट्टा चौक कहा जाता है।
जहां दुकानों की कतारें लगी हुई है। इसके बाद एक विशाल खुला स्थान है जहां से यह लंबी उत्तर दक्षिण सड़क को काटती है। यही सड़क पहले नगर में रहने वाले सैनिकों एवं नागरिकों के महल को बीच से विभाजित करती थी। इस सड़क का दक्षिणी छोर दिल्ली की गेट पर स्थित है।
नक्करखाना –
यह नक्कर खाना लोहार गेट के चट्टा चौक से लेकर आने वाली सड़क से लगी खुले मैदान के पूर्व की ओर स्थित है यह नक्कारखाना संगीतज्ञ के लिए बनाया गया था इसे संगीतज्ञ के महल का मुख्य द्वार कहा जाता है।
दीवान ए आम –
इस गेट के पार करने के बाद एक खुला मैदान है, जिसे दीवान ए आम के नाम से जाना जाता है। दीवान ए आम जनसाधारण के लिए बनाया गया एक वृहद प्रांगण था। इन दीवारों के बीचो बीच एक अलंकृत सिहासन का छज्जा बना हुआ था। यह सिंहासन बादशाह के लिए बनाया गया। यह सिहासन सुलेमान के राजा के सिंहासन की नकल थी।
नहर ए बहिश्त –
राजा की राज गद्दी के पीछे एक शाही निजी कक्ष बना हुआ है । इस क्षेत्र के पूर्वी छोर पर एक ऊंचा चबूतरा जैसा गुंबद की इमारत की कतार निर्मित है। जिसके ऊपर से यमुना नदी का किनारा दिखाई पड़ता है।
यह चबूतरा एक छोटी सी नहर से जुड़ा हुआ है जिसे ही नहर ए बहिश्त कहते हैं जो सभी पक्षों के मध्य से होकर जाती है किले के पूर्वोत्तर छोड़कर एक शाह बुर्ज का मकबरा बना है जिस पर यमुना का पानी चढ़ाया जाता है।
यहीं से इस नहर की जलापूर्ति होती है इस किले का परेड रूप का वर्णन कुरान शरीफ में भी है। जिसे स्वर्ग या जन्नत के अनुसार बनाया गया है। इसकी विषय की जानकारी यहां लिखी एक आयत से मिलती है। यदि पृथ्वी पर कहीं जन्नत है तो वह यही है यही है यही है।
महल की रूपरेखा इस्लामी ग्रुप में है, परंतु रितेश मंडप की रचना हिंदू वास्तुकला को प्रकट करती है। लाल किले का प्रासाद शाहजहानी शैली का एक उत्कृष्ट नमूना है।
ज़नाना –
महल के दक्षिण भाग में स्थित दो प्रासाद महिलाओं के लिए बने हैं। जिसे ज़नाना कहते हैं। जो कि अब एक संग्रहालय बना हुआ है। साथ ही साथ एक रंग महल एवं संगमरमर से बने सरोवर बने हुए हैं। जिसमें नहर ए बहिश्त से पानी आता है।
खास महल –
दक्षिण में स्थित तीसरे मंडप को खास महल कहते हैं। जिसमें शाही कक्ष बने हुए हैं, इसमें राज्यसी दरबार के लोगों के लिए शयनकक्ष प्रार्थना कक्ष एवं बरामदा बना हुआ है। साथ ही साथ एक मुसम्मन बुर्ज भी बना हुआ है इस मुझसे ही बादशाह जनता को दर्शन देते हैं।
दीवान ए खा़स –
अगला मंडप दीवान ए खा़स का है। जो राजा का निजी सभाकक्ष था।यह सभाकक्ष सचिव एवं मंत्री मंडल तथा सभा सदस्य के बैठकों में काम आता था। इस में स्वर्ण पदक भी मढी हुई है।
तथा बहुमूल्य रत्न जुड़े हुए हैं। इसके अलावा एक अलग मंडप भी बना हुआ है जिसे हमाम कहते हैं। यह मंडप राजसी स्नानागार था जो कि तुर्की शैली से निर्मित है। इसमें संगमरमर एवं रंगीन पाषाण जड़े हुए हैं।
मोती मस्जिद –
हमाम के पश्चिम में मोती मस्जिद स्थित है।इस मस्जिद का निर्माण सन 1659 में औरंगजेब के द्वारा बनवाई गई थी। यह एक छोटी 3 गुंबद वाली तराशे हुए श्वेत संगमरमर से निर्मित मस्जिद है। इसका मुख्य फलक तीन मेहराबों से निर्मित है। एवं बीच में एक बड़ा सा आंगन है। जहां फूलों का एक सुंदर सा मेला है।
लाल किले का आधुनिक युग में महत्व (Importance of Red Fort in modern Time) –
पर्यटन के मामले में लाल किला सर्वाधिक महत्व रखता है क्योंकि यह एक सर्वाधिक प्रख्यात पर्यटन स्थल है। दिल्ली का लाल किला प्रति वर्ष लाखों लाख पर्यटकों को आकर्षित करता है। दिल्ली का लाल किला इसीलिए महत्व रखता है।
क्योंकि यहां से भारत के प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस को जनता को संबोधित करते हुए भारत की ध्वज को फहराते हैं। लाल किला दिल्ली का सबसे बड़ा स्मारक है।
एक समय था जब यहां 3000 से 4000 लोग इस इमारत में समूहों में रहा करते थे परंतु 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद किस किले पर ब्रिटिश सेना ने कब्जा कर लिया और अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया।
साथ ही साथ इस किले के कई रिहायशी महल को भी नष्ट करवा दिया। एक समय में इस किले को ब्रिटिश सेना का मुख्यालय भी बनाया गया था। 1857 के संग्राम के बाद बहादुर शाह जफर पर यहीं पर मुकदमा भी चलाया गया था। यहीं पर नवंबर 1945 में इंडियन आर्मी के 3 अक्षरों का कोर्ट मार्शल भी किया गया था।
जो की स्वतंत्रता के बाद बाद भी होता रहा। इसके बाद भारत की सेना ने इस किले को अपने नियंत्रण में ले लिया था। इसके पश्चात 2003 में दिसंबर के माह में भारतीय सेना ने इसे भारतीय पर्यटन पदाधिकारियों को सौंप दिया था। दिल्ली के इस किले पर दिसंबर 2000 में आतंकवादी हमला भी हुआ।
इस हमले के दौरान 2 सैनिक एवं एक नागरिक मृत्यु को प्राप्त हो गए।इस आतंकवादी हमले को पाकिस्तानियों की साजिश बताई गई जो भारत में अशांति फैलाना चाहते थे एवं कश्मीरी मुद्दे को दबाना चाहते थे। कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने का प्रयास ऐसे कई हमलों द्वारा जगजाहिर है।
आतंकवादियों के हमले से बचाने के लिए लाल किला की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है स्वतंत्रता दिवस के समय इसकी सुरक्षा और कड़ी कर दिया जाता है दिल्ली पुलिस व भारतीय सेना इसकी अच्छी से निगरानी करते हैं।
Final Words –
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी पोस्ट पसंद आई होगी क्योंकि इसमें हमने लाल किला से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियों से आपको अवगत करवाया है। इसके अंतर्गत शामिल होने वाले कई महत्वपूर्ण पहलुओं।
जैसे लाल किला कब बना था? लाल किले का इतिहास क्या हैं? से जुड़े विषयों के माध्यम से हमने लाल किला से संबंधित इसके निर्माण एवं वास्तुकला के विषयों को भी बताया है।
हमे उम्मीद है कि Lal kila kab Bana tha के विषय में आप जान गए होंगे। इसी तरह के अन्य रोचक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं और इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें।