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Top 30 Hindi Short Stories

आज के इस आर्टिकल “Top 30 Hindi Short Stories” के माध्यम से हम 30 से अधिक मनोरंजन से भरी हिंदी कहानियों को जानेंगे। शायद आपने भी बचपन में अपने दादा-दादी और नाना-नानी की कहानियाँ सुनी हों, और इसी प्रकार की मनोहर और प्रेरक कहानियों को लेकर आज हम यहां हैं। इन कहानियों को पढ़ने के बाद आपके बच्चों को सिर्फ मनोरंजन ही नहीं मिलेगा, बल्कि प्रत्येक कहानी से उन्हें एक अच्छी सीख भी मिलेगी।

इस आर्टिकल “Top 30 Hindi Short Stories” में हमने ऐसी हिंदी कहानियों का संग्रह किया है, जो हर उम्र के व्यक्ति को जरूर पसंद आएंगी।

इन कहानियों को पढ़कर आप भी और अपने बच्चों को भी इनसे शिक्षा प्राप्त करने का अवसर दें। इस आर्टिकल में हमने ऐसी कहानियाँ share की हैं, जिन्हें पढ़कर आपके बच्चे न केवल हंसेंगे, बल्कि ये कहानियाँ उन्हें सोचने पर मजबूर भी करेंगी।

इस Top 30 Hindi Short Stories post को अपने बच्चों के साथ share करें और इन मनोहर कहानियों का आनंद लेने का सुनहरा मौका प्राप्त करें। आपके बच्चों को ये कहानियाँ पसंद आएंगी और उन्हें इनसे नए दृष्टिकोण और सोच प्राप्त होगी।

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List of Top 30 Hindi Short Stories

बहुत बार हमारे घर में छोटे बच्चे हमसे कहानियाँ सुनाने की बात करते हैं, और फिर हम सोचते हैं कि कौन सी ऐसी कहानी सुनाई जाए जो छोटी हो और जो बच्चों को पसंद भी आए।

इसलिए आज मैंने इस लेख में आपके साथ कुछ ऐसी ही बेहतरीन कहानियाँ शेयर की हैं, जो आपके बच्चों को सुनने में भी पसंद आएंगी और जो उन्हें एक बेहतर इंसान बनाने में मदद करेंगी।

तो अब आप बिना देर किए नीचे दी गई “Top 30 Hindi Short Stories In Hindi” को एक-एक करके जरूर पढ़ें और अपने बच्चों को भी सुनाएं।

1. शेर और चूहा:

एक समय की बात है, सर्दी का दिन था और एक शेर धूप में सो रहा था। तभी एक चूहा आया और सोए हुए शेर के शरीर पर कूदने लगा। इससे शेर जाग उठा और उसने अपने पंजों से चूहे को पकड़ लिया। शेर ने गुस्से में कहा, मुर्ख चूहे मुझे तंग क्यों किया, अब तुझे सजा मिलेगी।

फिर चूहा बहुत डर गया और माफ़ी मांगते हुए कहने लगा कि, “मुझे जाने दो, अगर आपको मेरी मदद की कभी भी जरुरत होगी तो मैं आपकी मदद करूँगा।” शेर ने हँसते हुए कहा, “तू मेरे लिए क्या कर सकता है?” चूहे की विनती को देखकर शेर ने उसे माफ़ कर दिया और जाने दिया।

कुछ दिनों बाद, शेर जाल में फंस गया। उसने बहुत कोशिश की पर नहीं निकल सका। जब वह दहाड़ने लगा, तो चूहा उसकी मदद के लिए पहुँचा। चूहा ने दांतों से जाल को काटा और शेर को बाहर निकाल दिया। शेर बहुत खुश हुआ और चूहे को अपने सच्चे मित्र मान लिया।

शिक्षा – किसी को भी कभी भी अपने से छोटा या कमज़ोर नहीं समझना चाहिए।

2. सोने का अंडा देने वाले हंस:

एक गाँव में एक व्यापारी अपनी पत्नि के साथ रहता था। उसकी पत्नि के साथ वह रोज़ बाजार जाता, हंस खरीदकर उसकी देखभाल करता। धीरे-धीरे उसका हंस तंदुरुस्त हो गया और कुछ महीने बाद उसने सोने का अंडा दिया। लेकिन जब व्यापारी ने देखा, तो उसका अंडा सोने का था। व्यापारी और उसकी पत्नि हैरान रह गए क्योंकि वे सोचते थे कि ऐसा कैसे हो सकता है?

हंस ने हमेशा सोने का अंडा देना शुरू किया और व्यापारी और उसकी पत्नि उसे बेचकर पैसे कमाने लगे। लालच ने उनको और भी अधिक कमाई करने का आदान-प्रदान बना दिया। सोने के अंडे को देखकर उनके मन में लालच बढ़ने लगा और व्यापारी ने सोचा कि, अगर ये हर रोज़ एक सोने का अंडा देता है तो उसके अंदर और कितने अंडे होंगे।

एक दिन, व्यापारी ने हंस को मार दिया और उसका पेट चीरा, लेकिन उनकी आश्चर्यजनक बात यह थी कि हंस के अंदर सोने का एक भी अंडा नहीं था। जब यह देखा गया, व्यापारी बहुत ही दुखी हो गए।

शिक्षा – लालच करना बहुत बुरा हो सकता है और हमें हमेशा सच्चाई और न्याय का पालन करना चाहिए।

3. झूठा दोस्त:

एक बार की बात है, एक हिरण और कौआ बहुत अच्छे दोस्त थे। वे दोनों हर दुख-सुख में एक दूसरे का साथ दिया करते थे। एक दिन, कौआ ने हिरण को एक सियार के साथ देखा। कौआ ने हिरण से कहा कि सियार बहुत चालाक होता है और वह जाल में फंसा देता है, इसलिए उसका साथ छोड़ दे।

लेकिन हिरण ने इस सलाह को नजरअंदाज करते हुए सियार के साथ खेत में चला गया। और वहां जाकर हिरण फंस गया। सियार ने कहा, “मैं किसान को बुला रहा हूं, और वह तुम्हें मार डालेगा।”

हिरण चिल्लाया, तब वहां पर कौआ आया और कहा, “तुम ऐसे लेटो जैसे कि तुम मर गए हो।” हिरण ने अपने दोस्त की सलाह मानी और लेट गया।

कुछ देर बाद, किसान आया और हिरण को जाल में फंसा देखकर खुश हुआ। लेकिन जब किसान ने जाल खोला, तो हिरण निकलकर भाग गया। किसान ने देखा कि हिरण ठीक है, और वह सियार को मारकर उसे भगा दिया।

शिक्षा – हमें किसी पर आसानी से भरोसा नहीं करना चाहिए।

4. लोमड़ी और अंगूर:

एक बार जंगल में भूखी लोमड़ी खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। काफी देर घूमने के बाद भी उसे खाना नहीं मिला। थोड़ी देर तक घूमने के बाद उसे एक पेड़ दिखाई दिया। उस पेड़ पर रसीले अंगूर के गुच्छे लटक रहे थे। इस दृश्य को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आने लगा और उसने मन में सोचा, “ये अंगूर तो बहुत स्वादिष्ट लग रहे हैं और मैं इन्हें जरूर खाऊंगी।” लेकिन अंगूर बहुत ऊपर लटके हुए थे।

लोमड़ी ने छलांग लगाकर अंगूर तोड़ने का प्रयास किया, पर वह असफल रही। बहुत देर तक कोशिश करने के बाद वह सोचने लगी कि अब कोशिश करना बेकार है। वह अपने आप से कहने लगी कि उसको ये अंगूर नहीं चाहिए, यह तो खट्टे है।

लोमड़ी का व्यवहार यह सिखाता है कि जब हम किसी चीज को प्राप्त करने में असफल हो जाते हैं, तो हम उसमें कमियाँ निकालने लगते हैं। थोड़ी देर बाद लोमड़ी चुपचाप जंगल के दूसरी ओर निकली।

शिक्षा – अपनी कमियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

5. संगति का असर:

राम और श्याम दो भाई थे, जो एक ही कक्षा में पढ़ते थे। राम बहुत होशियार था और उसे पढ़ाई में बहुत रुचि था, लेकिन उसका छोटा भाई श्याम पढ़ाई के प्रति उत्साही नहीं था। राम के दोस्त अच्छे थे, जबकि श्याम के दोस्तो को पढ़ने में बिलकुल दिलचस्पी नहीं थी, वो पढ़ाई से दूर भागते थे। यह सब देखकर राम अपने छोटे भाई को बताता था कि उसे उसके दोस्तों के साथ नही रहना चाहिए, लेकिन श्याम उसकी सलाह को नजरअंदाज करता था और कहता था कि वह अपने काम से मतलब रखे।

एक दिन श्याम अपने भाई के साथ स्कूल जा रहा था। उसका भाई राम कक्षा में चला गया, लेकिन अचानक श्याम के दोस्त आए और उसे बताया कि आज हरि का जन्मदिन है, इसलिए इसलिए आज स्कूल ना जाओ। श्याम ने पहले इनकार किया, लेकिन दोस्तों के बार-बार कहने पर उसने उनके साथ चलने का निर्णय लिया। धीरे-धीरे श्याम को ऐसा करने की आदत हो गई और वह हर दिन ऐसा ही करने लगा।

कुछ दिनों बाद परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ, जिसमें श्याम और उसके दोस्त फेल हो गए। वही उसका भाई राम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। श्याम अपने घरपे मार्कशीट दिखाया, और जब उसके माता-पिता ने देखा कि उसके अंक बहुत कम हैं। उन्हें बहुत दुःख हुआ कि एक बेटा इतना अच्छा पढ़ाई में है और दूसरा इतना बेकार।

श्याम को एहसास हुआ कि उसने अपने माता-पिता को दुःखी किया है और उसने उनसे वादा किया कि वह अगली परीक्षा में सफल होकर दिखाएगा। श्याम ने अपने उन दोस्तों को छोड़ दिया जिन्होंने उसकी सफलता में रोका था, और वह अपनी पढ़ाई में ध्यान देने लगा।

नतीजा यह हुआ कि साल भर की मेहनत से उसने परीक्षा में सफलता हासिल ही नहीं की बल्कि उसने विद्यालय में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। उसके माता-पिता बहुत खुश हुए और उन्होंने श्याम को गले से लगाकर उसे शाबाशी दी।

शिक्षा – संगति का असर हमारे परिणामों पर होता है।

6. शेर की चाल:

एक घना जंगल था जहां चार बैल रहते थे। इनमें बड़ी दोस्ती थी। शेर की इच्छा थी कि यदि कोई बैल अकेला मिल जाए, तो वह उसे खा जाएगा। पर शेर की इच्छा कभी पूरी नहीं होती थी। बैल हमेशा एक-दूसरे के साथ रहते थे और एक दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहते थे।

शेर उनके बड़े सींगो से काफी डरता था और वह उनसे दूर भागता था। एक दिन उसने सोचा कि उन्हें एक दूसरे से अलग करने के लिए कुछ करना होगा। इसलिए उसने एक योजना बनाई जिससे उनकी मित्रता टूटे। वह बैल के पास गया और उसे बोला, “तुम्हारे दोस्त कहते हैं कि तुम बहुत मूर्ख हो।”

इससे बैल को बहुत बुरा लगा और वह दूसरे बैलों से बातचीत करना बंद कर दिया। शेर ने ऐसा करके उनमें नफरत बढ़ा दी। फिर शेर ने एक बैल पर हमला किया, जिससे बैलों ने मिलकर उसकी मदद की। इसके बाद पहले बैल ने शेर को कहा कि वे मूर्ख नहीं हैं, और शेर की चालों में आना गलत है।

शिक्षा – एकता में ही हमारी शक्ति होती है।

7. सच्चा मित्र:

एक बार की बात है, दो दोस्त जंगल में जा रहे थे। वहां कई जंगली जानवर थे, जिसमें शेर, भालू, सांप और जहरीली मकड़ियां भी थीं। जब वे जंगल में पहुंचे, तो उन्हें डर का सामना करना पड़ा। वे सोचने लगे कि कहीं आगे कोई मुसीबत तो नहीं होगी।

एक दोस्त बोला, “मुझे डर लग रहा है, कहीं हमें कोई कठिनाई न आ जाए।” दूसरा दोस्त उससे सहमत होकर बोला, “हाँ, लेकिन हमें तो दूसरे गाँव जाना है, जंगल तो पार करना ही पड़ेगा।” एक और दोस्त ने कहा, “लेकिन अगर हम मुसीबत में पड़ गए तो?” पहला दोस्त ने जवाब दिया, “चलो ये वादा करते हैं कि अगर किसी एक को मुसीबत में देखते हैं, तो दूसरा उसकी मदद करेगा।” दूसरा दोस्त भी मुस्कराए और वादा किया, “हाँ, मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूंगा।”

वे दोस्त थोड़ी देर जंगल में घूमने के बाद एक अजीब आवाज सुनी। वे रुक गए और देखा कि एक बड़ी काली आकृति उनकी तरफ आ रही है। वे डरकर बोले, “ये क्या है?” एक दोस्त ने कहा, “यह एक भालू है, हमें जल्दी भागना चाहिए।” एक दोस्त ने ऊपर एक पेड़ पर चढ़ जाने का प्रयास किया, लेकिन दूसरा दोस्त नहीं जानता था। उसने मदद मांगी, लेकिन पेड़ पर बैठे दोस्त ने मदद नहीं की।

फिर उनके सामने भालू आया और उनसे बातचीत करते हुए बैठ गया। उसने दोस्त को छोड़ दिया और जाकर देखा कि वह सो रहा है। भालू ने समझा कि वह मर चुका है। लेकिन जब उसने देखा कि वह सांस ले रहा है, तो उसने मुद्रित होकर उसे छोड़ दिया। उसका दोस्त नीचे उतरा और पूछा, “क्या तुम ठीक हो?” लड़का ने कहा, “हाँ, उसने मुझसे कहा कि हमें धोखा नहीं देना चाहिए, और ऐसी संगत नहीं रखनी चाहिए।”

शिक्षा – मित्र वही जो मुसीबत में काम आये।

8. लालची बंदर :

एक बंदर रोज़ एक आदमी के घर आता था और हर बार कुछ न कुछ करके शोर मचाता था। वह कभी कपड़े फाड़ देता, कभी बर्तन ढोता, और कभी बच्चों को पीटता भी था। उसका आतंक परिवार को बहुत परेशान करता था। लेकिन वह परिवार वाले बंदरों से बहुत डरते थे।

एक दिन घर के लोगों ने तय किया कि वे इस बंदर को पकड़ कर बाहर निकालेंगे। बंदर घर के अंदर आया और कुछ समय बाद बाहर निकला। लेकिन जब उसने दबे हुए घड़े में छोले देखे, तो वह वहीं बैठ गया।

बंदर ने छोले को निकालने के लिए जार में हाथ डाला और एक मुट्ठी छोला पकड़ लिया। लेकिन छोले का मुंह छोटा होने के कारण हाथ बाहर नहीं निकला। बंदर ने बहुत कोशिश की, लेकिन छोले का मुंह नहीं खुला। तब उसने जोर से धक्का दिया और कूदने लगा। लेकिन बंदर ने छोले को नहीं छोड़ा।

फिर एक नौकर ने बंदर को रस्सी से बांधकर बाहर निकाला। लालची बंदर को पकड़ लिया गया।

शिक्षा – लालच बुरी बला है।

9. समझदार लोमड़ी:

एक शेर, गधा, और लोमड़ी ने नई दोस्ती की। उन्होंने मिलकर एक शिकार करने का निर्णय लिया और यह कहा कि शिकार का हिस्सा तीनों को बराबर बांटने का निर्णय किया। अचानक उन्होंने एक हिरण देखा, जिसे वे मिलकर थका दिया।

जब हिरण थक गया, तो शेर ने उसे मार दिया। और फिर गधे से कहा कि शिकार का हिस्सा तीन बराबर में बांट दो। गधे ने उसे तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया, जिससे शेर को गुस्सा आया। शेर ने गधे पर हमला किया और उसे मार दिया। लोमड़ी ने देखा और खुद के लिए एक चौथाई हिस्सा रखकर शेर को बाकी सब दे दिया।

इस पर शेर ने लोमड़ी को प्रशंसा की और लोमड़ी से पूछा कि उन्होंने यह सीखा कहां से है। लोमड़ी ने कहा कि वे गधे की गलतियों से सीखा हैं।

शिक्षा – हमें ईमानदारी से काम करना चाहिए और धोखेबाजी से बचना चाहिए।

10. होशियार इंसान:

एक बार, शाम के समय, एक छोटे प्राइवेट हवाई जहाज में एक डॉक्टर, एक वकील, एक छोटा बच्चा, और एक पंडित जी यात्रा कर रहे थे। अचानक हवाई जहाज के इंजन में कुछ तकनीकी खराबी हो गई। पायलट की कई कोशिशों के बावजूद, जहाज नीचे गिरने लगा। पायलट ने उन सभी यात्रीगण से कहा कि वे पैराशूट लेकर कूद जाएं ताकि वे अपनी जानें बचा सकें। दुर्भाग्यवश, सिर्फ तीन पैराशूट बचे थे जबकि हवाई जहाज में चार लोग बाकि थे।

एक पैराशूट डॉक्टर ने ले लिया और कहा, “मैं डॉक्टर हूं, मैं जानें बचाता हूं, इसलिए मुझे जीना चाहिए।” वह कूद गया। फिर वकील ने कहा, “मैं वकील हूं और वकील सबसे होशियार इंसान होते हैं।” उसने पैराशूट लिया और वह भी कूद गया। अब बचे हुए एक पैराशूट के साथ, पंडित जी ने छोटे लड़के की ओर देखा और कहा, “बेटा, तुम अभी छोटे हो और तुम्हारी पूरी जिंदगी बाकी है। यह आखिरी पैराशूट तुम लो और आराम से जीना।”

छोटे लड़के ने पैराशूट पंडित जी को वापिस किया और कहा, “आप परेशान नहीं हों। वह आदमी, जो खुदको सबसे होशियार बता रहा था, वह मेरा बैग लेकर नीचे कूद गया है। हमारे पास दो पैराशूट और हैं, हम आराम से कूद सकते हैं।”

शिक्षा – बुद्धिमान और सही निर्णय लेना हमें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचा सकता है।

11. मुर्ख मेंढक:

एक दिन, एक किसान पेड़ के नीचे पानी गरम कर रहा था। वह किसान जिस बर्तन में पानी गरम कर रहा था, उसी बर्तन में गलती से मेंढ़क गिर जाता है। उस समय पानी ज्यादा गरम नहीं था, इसलिए मेंढ़क पानी का आनंद ले रहा था। कुछ समय बाद पानी गरम होने लगा और यह मेंढ़क भी पानी के तापमान के अनुसार अपनी त्वचा को संतुलित करने लगा।

जैसे-जैसे पानी का तापमान बढ़ता गया, यह मुर्ख मेंढ़क भी अपने आप को उस पानी में रहने के लिए एड़जस्ट करता रहा। कुछ समय बाद पानी ज्यादा गरम हो गया और मेंढ़क के लिए उस पानी में रहना मुश्किल हो गया। अब मेंढ़क ने सोचा कि वह इस पानी से बाहर निकल जाएगा। मेढ़क ने छलांग लगाकर प्रयास किया, लेकिन वह वापिस उसी बर्तन में गिर गया। मेढ़क ने दूसरी बार भी प्रयास किया, लेकिन फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाया।

बार-बार प्रयास करने के बाद भी वह मेढ़क वापिस उसी बर्तन में गिर जाता था। आखिर में पानी ज्यादा गरम होने के कारण मेंढ़क को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस कहानी से आपको यह सिखने को मिलता है कि यह मुर्ख मेंढ़क क्यों बाहर नहीं निकल पाया? क्योंकि उसने अपनी सारी energy को उस बर्तन के गरम पानी को एड़जस्ट करने में गँवा दी थी।

जब उसने बाहर आने का सोचा, तब बहुत ज्यादा समय बित गया था और उसके पास उस बर्तन में से बाहर निकलने के लिए energy ही नहीं बची थी। अगर उसने यह निर्णय पहले लिया होता, तो वह बड़ी आसानी से बाहर आ सकता था।

शिक्षा –हमें अपने जीवन में सिर्फ सही निर्णय लेना ही नहीं, बल्कि उन्हें सही समय पर लेना भी महत्वपूर्ण है।

12. हाथी और उसके दोस्त की काहानी:

बहुत समय पहले की बात है, एक अकेला हाथी एक अजीब जंगल में पहुंचा। उसने यह जंगल पहली बार देखा और वह नए दोस्त बनाने की कोशिश कर रहा था। हाथी ने सबसे पहले एक बंदर से मिलकर पूछा, “नमस्ते, बंदर भैया! क्या आप मेरे दोस्त बनना चाहेंगे?” बंदर ने कहा, “तुम मेरी तरह झूल नहीं सकते क्योंकि तुम बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता।”

इसके बाद, हाथी एक खरगोश के पास गया और वही सवाल पूछा। खरगोश ने कहा, “तुम मेरे बिल में फिट होने के लिए बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता।” फिर हाथी तालाब में रहने वाले मेंढ़क के पास गया और वही सवाल पूछा। मेंढ़क ने उसे जवाब दिया, “तुम मेरे जितना ऊंची कूदने के लिए बहुत भारी हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता।”

अब हाथी वास्तव में उदास था क्योंकि वह बहुत कोशिशों के बावजूद दोस्त नहीं बना सका। फिर, एक दिन, सभी जानवर जंगल में इधर उधर दौड़ रहे थे, तब हाथी ने दौड़ रहे एक भालू से पूछा कि इस उपद्रव के पीछे का कारण क्या है। भालू ने कहा, “जंगल का शेर शिकार पर निकला है – वे खुद को उससे बचाने के लिए भाग रहे हैं।” इस पर हाथी शेर के पास गया और कहा कि कृपया इन निर्दोष लोगों को चोट न पहुंचाओ, उन्हें अकेला छोड़ दो।

शेर ने उसका मजाक उड़ाया और हाथी को एक तरफ चले जाने को कहा। तभी हाथी को गुस्सा आ गया और उसने शेर को उसकी सारी ताकत लगाकर धक्का दे दिया, जिससे वह घायल हो गया और वहां से भाग गया। अब बाकी सभी जानवर धीरे-धीरे बाहर आ गए और शेर की हार को लेकर आनंदित होने लगे। वे हाथी के पास गए और उससे कहा, “तुम्हारा आकार एकदम सही है हमारा दोस्त बनने के लिए!”

शिक्षा – कहानी से यह सिखने को मिलता है कि एक व्यक्ति का आकार उनके मूल्य का निर्धारण नहीं करता है।

13. मूर्ख गधा:

बहुत समय पहले की बात है, एक नमक बेचने वाला रोज़ अपने गधे के साथ नमक की थैली लेकर बाजार जाता था। रास्ते में, एक नदी पार करते समय, गधा नदी में गिर गया और नमक की थैली पानी में गिर गया। क्योंकि नमक से भरा थैला पानी में घुल गया, इसलिए थैला ले जाने के लिए बहुत हल्का हो गया।

इससे गधा बहुत खुश हुआ। अब फिर गधा रोज़ वही चाल चलने लगा, जिससे नमक बेचने वाले को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ता। नमक बेचने वाले को गधे की चाल समझ में आ गई और उसने उसे सबक सीखाने का निर्णय किया। अगले दिन उसने गधे पर एक भारी रुई से भरा थैला लाद दिया।

अब गधे ने फिर से वही चाल चलना शुरू किया। उसे उम्मीद थी कि रुई का थैला अभी भी हल्का हो जाएगा। लेकिन गीली रुई (कपास) ले जाने के लिए बहुत भारी हो गई और गधे को नुकसान उठाना पड़ा। इससे उसने एक सबक सीखा कि भाग्य हमेशा साथ नहीं देता है और हमें अपनी बुद्धि का भी इस्तेमाल करना चाहिए। इसके बाद से, गधा कभी भी वह चाल नहीं चलता और नमक बेचने वाला खुश रहता है।

शिक्षा – भाग्य कभी-कभी बदला जा सकता है, लेकिन हमें सीखना चाहिए कैसे स्थितियों का सामना करना है और बुद्धि से निर्णय लेना चाहिए।

14. लालची आदमी:

एक समय की बात है, एक छोटे से शहर में एक लालची आदमी रहता था। वह धनी था, लेकिन उसके लालची आदतों का कोई अंत नहीं था। उसके पास सोना और कीमती वस्तुएं था। लेकिन एक बात ज़रूर था की, वह अपनी बेटी को किसी भी चीज से ज्यादा प्यार करता था।

एक दिन, उसे एक परी दिखाई दी। जब उसने पास जाकर देखा, तो उसे देखा की परी के बाल एक पेड़ की शाखाओं में फंसे हुए थे। गरीब परी की मदद करने के बाद, उसने देखा कि परी उससे एक इच्छा पूर्ति करने का मौका दे रही है। उसने इस मौके का फायदा उठाकर उससे सोने का आभूषण मांग लिया।

परी ने उसकी इच्छा को पूरा कर दिया, लेकिन जैसे-जैसे उसकी लालची आदतें बढ़ीं, उसने एक और इच्छा को पूरा करने के लिए परी से मांग की। इस में सफलता प्राप्त होने के बाद, उसने अमीरी की ओर बढ़ने का यह अवसर पा लिया।

उसने परी से कहा, “जो कुछ मैं छूऊं, वह सब सोना हो जाए।” परी ने भी इस इच्छा को पूरा किया। जब इच्छा पूरी हो गई, तो उस आदमी ने खुद को सोने के सामान में परिवर्तित करना देखा। इस प्रकार, वह अपनी गलती का अहसास करते हुए अपनी पत्नी और बेटी के पास गया।

उसने देखा कि जब उसकी बेटी ने उससे मिलने की कोशिश की, वह एक सोने की मूर्ति में बदल गई।। इस सीन को देखकर उसे अपनी गलती का पछतावा हुआ। वह रोने लगा और बेटी को वापस पाने की कोशिश करने लगा, लेकिन अब बहुत समय बीत चुका था।

शिक्षा – लालच हमेशा नकारात्मक परिणामों की ओर ले जाता है। ज़रूरत से अधिक लालच करना हमें हमेशा परेशानी में डाल सकता है, जबकि ईमानदारी और सत्य का पालन करना हमें सुखी और संतुष्ट बना सकता है।

15. चींटी और कबूतर:

गरमी के दिनों में, एक चींटी थी जो पानी की तलाश में घूम रही थी। उसने एक नदी देखी और पानी पीने के लिए एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गई, लेकिन वह फिसल कर नदी में गिर गई। तब एक कबूतर ने उसकी मदद की और एक पत्ता पानी में गिराकर उसको बचाया।

चींटी ने पत्ती की ओर बढ़ते हुए उस पर चढ़ा और कबूतर ने ध्यानपूर्वक पत्ते को बाहर निकालकर उसे बचाया। उसके बाद, चींटी और कबूतर दोनों दोस्त बन गए और उनके दिन खुशी से बीते। लेकिन एक दिन शिकारी आया, जिसने कबूतर पर निशाना साधा।

चींटी ने शिकारी को देखा और उसकी जान बचाने के लिए शिकारी की एड़ी पर काट ली। शिकारी को दर्द हुआ और उसकी बंदूक गिरी। कबूतर ने फिर उसकी जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया और इस तरह दोनों दोस्त विपत्ति के समय में एक दूसरे के काम आए।

शिक्षा – अच्छे कर्मों का फल कभी नहीं जाता बेकार, और सच्ची मित्रता में सबका साथ देना हमेशा फलदायी होता है।

16. कुत्ता और हड्डी:

बहुत समय पहले की बात है, एक कुत्ता रात-दिन सड़कों पर खाने की तलाश में घूमता था। एक दिन, उस एक रसीली हड्डी मिली और उसे मुंह में लेकर घर की ओर बढ़ा। रास्ते में, उसने एक नदी पार की। वहाँ, उसने देखा कि एक और कुत्ता उसी तरफ़ देख रहा था, जिसके मुंह में भी हड्डी थी।

उसका मन भी उस हड्डी को पाने में लालची हो गया। लेकिन जैसे ही उसने मुंह खोला, जिस हड्डी को वह चबा रहा था, वह नदी में गिरकर डूब गया। क्योंकि वह दूसरा कुत्ता नहीं बल्कि उसकी ही परछायी था, जो पानी में दिख रहा था। उसकी हड्डी गिर गई और उसे भूखा रहना पड़ा।

शिक्षा – अगर हम दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, तो हमें लालची होने का खतरा हो सकता है, और हम वही खो सकते हैं जो हमारे पास पहले से है।

17. झूठा लड़का और भेड़िया:

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में रहने वाला एक लड़का रहता था जो पास की पहाड़ी पर चरते गाँव की भेड़ों को देखकर ऊब गया था। एक दिन, उस गाँव की भेड़ों को देखकर विचलित हो गया और अपने मनोरंजन के लिए चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!”

गाँववाले ने उसकी चीख सुनी और भेड़ियों को देखने के लिए पहाड़ी पर दौड़ने लगे। लेकिन, जब वे पहुंचे, तो वहां कोई भेड़ीया नहीं था। उउनके गुस्से वाले चेहरों को देखकर लड़का खुश हो गया। लड़के ने इस पर हंसते हुए कहा, “यह देखकर मुझे बहुत मज़ा आया!”

सभी ने उसे चेतावनी दी कि “भेड़िया भेड़िया चिल्लाओ मत, जब कोई भेड़िया नहीं है!” इसके बाद गाँववाले गुस्से में पहाड़ी से लौट गए।

एक बार फिर, उस लड़के ने मनोरंजन के लिए चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!” और देखा कि गाँववाले फिर से भेड़ियों को देखने के लिए पहाड़ी पर दौड़ रहे हैं। फिर, जब उन्होंने भेड़ियों को नहीं देखा, तो वह फिर से हंसते हुए आनंदित हुआ।

जब वह एक असली भेड़िये को देखा, घबराए हुए, वह अपने पैरों पर कूद गया और जितना जोर से चिल्ला सकता था, चिल्लाया, भेड़िया! भेड़िया! लेकिन गाँव वालों ने अब की बार सोचा कि वह उन्हें फिर से बेवकूफ बना रहा है, और इसलिए वे मदद के लिए नहीं आए।। लेकिन गाँववालों ने सोचा कि वह उन्हें फिर से बेवकूफ बना रहा है और इसलिए वे मदद के लिए नहीं आए।

बाद में, गाँववाले ने उस लड़के को सांत्वना दी कि “झूठे पर कोई विश्वास नहीं करता, भले ही वह सच कह रहा हो!” अब उस लड़के को अपनी गलती का पछतावा हुआ।

शिक्षा – झूठ से विश्वास टूट जाता है – भले ही आप सच कह रहे हों, कोई भी झूठ पर विश्वास नहीं करता है। इसलिए हमेशा सच बोलना चाहिए।

18. दूधवाली और उसके सपने:

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में रहने वाली कमला नामक एक दूधवाली थी। वो अपने गायों की दूध को बेचकर पैसे कमाती थी जिससे की उसका गुज़ारा चलता था।। एक दिन, जब वह दूध बाजार में बेचने के लिए निकली, उसे एक विचित्र सपना आया। उसने सोचना शुरू किया कि जो पैसा वह कमा रही है, उसका उपयोग कैसे करेगी।

उसका मन विभिन्न विचारों में लगा, जैसे कि मुर्गी खरीदना, उसके अंडे बेचना, केक, स्ट्रॉबेरी टोकरी, फैंसी ड्रेस, और एक नया घर खरीदने का सपना देखने लगी। उसने जल्दी ही अमीर बनने की योजना बना ली।

अपने उत्साह में, वह अपने साथ ले जा रहे दोनों बाल्टी के बारे में भूल गई और उन्हें बाजार में छोड़ दिया। धीरे-धीरे, उसने महसूस किया कि दूध गिर रहा है और जब उसने बाल्टी जाँची, तो वह खाली थीं। उसके यह देखकर उसे खेद हुआ और उसने अपनी गलती का अहसास किया।

शिक्षा – केवल सफलता ही नहीं, सफलता प्राप्त करने की प्रक्रिया पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

19. सैतान बिल्ली और चूहा:

बहुत समय पहले की बात है, एक सैतान बिल्ली बहुत से चूहों को हमेशा परेशान किया करती थी। चूहे ने मिलकर इस परेशानी का समाधान खोजने का निर्णय किया। वे सभी मिलकर बातचीत करने के लिए इकट्ठे हुए और अपने समस्याओं का समाधान निकालने के लिए कई विचार प्रस्तुत किए।

एक चूहा ने सुझाव दिया कि हमें बिल्ली के आने की चेतावनी देने के लिए हमें एक प्रहरीदुर्ग बनाना चाहिए। दूसरा चूहा बोला कि हमें समूहों में जाना चाहिए ताकि हम बिल्ली के हमलों से बच सकें।

बूढ़ा चूहा ने सुझाव दिया, “चलो बिल्ली के गले में घंटी बांधते हैं! जब बिल्ली आसपास टहलती है, तो उसके गले में बंधी घंटी बजेगी, जिससे हमें उसके पास होने की चेतावनी मिलेगी।”

इस सुझाव को सुनकर सभी चूहे सहमत हो गए और यही योजना अंजाम में लाई गई। एक बूढ़ा चूहा ने पूछा, “ठीक है, लेकिन बिल्ली को घंटी कौन बजाएगा?” बूढ़े चूहे ने मुँह बंद कर दिया, और सभी चूहे चुपचाप भाग गए। अंत में, केवल बूढ़ा चूहा ही बचा रह गया।

शिक्षा – अत्यधिक लोभ से हमेशा हानि होती है। दूसरों से चोरी न करना और स्वार्थ के लिए दूसरों की कामना न करना अच्छा है।

20. तीन मछलियाँ:

एक छोटी सी नदी में तीन मछलियाँ रहती थीं। उनमें से प्रत्येक एक अलग-अलग रंग की थी – लाल, नीली, और पीली। भले ही उनके रंग भिन्न थे, लेकिन ये तीनों मछलियाँ बहुत अच्छे दोस्त थीं और हमेशा साथ में मिलझूल कर रहती थीं।

एक दिन, नीली मछली किनारे के पास तैर रही थी और उसने मछुआरों की बातें सुनीं। उनमें से एक मछुआरा कह रहा था कि नदी में मछलियों को पकड़ने का समय आ गया है। नदी में बहुत सारा भोजन मिलेगा, इसलिए वे कल मछली पकड़ने का प्लान बना रहे हैं।

नीली मछली चिंतित हो गई और उसने तुरंत अपने दो दोस्तों को बताया। वह चाहती थी कि वे सुरक्षित रूप से नदी में तैरें। लेकिन लाल मछली ने कहा, “मैं तो इन्हें बचा लूंगा, क्योंकि मैं बहुत तेज हूं और मुझे कोई नहीं पकड़ सकता। हमें यहाँ सब कुछ मिल जाएगा जो हमें चाहिए।”

नीली मछली ने फिर कहा, “हमें अब एक दिन के लिए कहीं और सुरक्षित जगह पर जाना चाहिए।” पीली मछली ने भी उसकी बात में सहमति दी, “हाँ, हमें सुरक्षित रहना बहुत जरूरी है।”

इन तीनों दोस्तों ने बचाव की कोशिशें की, लेकिन दूसरों ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। कल सुबह, मछुआरे ने अपना जाल डाला और बहुत सारी मछलियाँ पकड़ लीं। उनमें एक लाल मछली भी थी!

बाद में मछुआरे ने बातचीत की, बेहतरिन पकड! लंबे दिनों के बाद।” यह सुनकर दोस्त पीली मछली और नीली मछली दुःखी थीं कि उनके दोस्त लाल मछली को भी पकड़ लिया गया।

शिक्षा – जब कोई हमें किसी समस्या के बारे में चेतावनी देता है, तो हमें ध्यान देना चाहिए और सहमति से कार्रवाई करनी चाहिए।

21. टोपी बेचने वाला और बन्दर की कहानी:

बहुत दिनों पहले की बात है, एक गाँव में एक आदमी था जो टोपी बेचता था। वह अपने गाँव के पास जाकर टोपी बेचता था। एक दिन, बहुत सारी टोपियां लेकर वह गाँव वापस जा रहा था।

खड़े रहने और कम सोने से वजह से वह काफ़ी थक गया था, इसलिए उसने सोचा कि थोड़ी देर के लिए एक पेड़ के नीचे आराम कर लें। वह एक बड़े पेड़ के पास गया और सोने का निर्णय लिया।

वह लंबी नींद में चला गया। जब वह उठा, तो उसने देखा कि सभी टोपियां गायब थीं। वह चिल्लाया, “मेरी टोपी! मेरी टोपी! इन्हें कौन ले गया?” तब उसने सुना कि कुछ ऊपर से आवाज़ आ रही है।

वह देखा कि बंदर उसकी टोपियां पहनकर उड़ रहे थे! उसने सोचा कि वह अब कैसे अपनी टोपियां वापस पा सकता है। उसने एक बड़ी टोपी उठाई और पहन ली। बंदरों ने भी उसकी तरह टोपियां पहन लीं।

फिर उसने अपनी टोपी उतारकर ज़मीन पर फेंक दी। बंदर भी अपनी टोपियां उतारकर फेंक दीं। इसके बाद, टोपीवाला ने जल्दी से अपनी टोपियां उठाईं और तेजी से अपने गाँव की ओर बढ़ा।

शिक्षा – हमेशा अपने कार्यों को बुद्धिमानी से चुनें ताकि हम मुश्किल से आसानी से बाहर आ सकें।

22. तीन छोटे सूअर की कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में तीन छोटे सूअर रहते थे। उनकी माँ अब इस दुनिया में नहीं रहती थी। तीनों छोटे सूअर एक साथ रहते थे, लेकिन जब वे बड़े हो गए, तो उनकी जगह छोटी पड़ने लगी।

तब उन तीनों में से हर एक ने अपना घर बनाने का फैसला किया। पहला सूअर ने मेहनत करके एक पुआल (straw) का घर बना लिया, दूसरा सूअर ने थोड़ी मेहनत करके लकड़ियों से घर बनाया, और तीसरा सूअर ने बहुत मेहनत करके एक मजबूत ईंट-पत्थर का घर बना लिया।

अब तीनों सूअर आराम से रह रहे थे, लेकिन एक दिन बड़ा भेड़िया आकर उनके घरों को तोड़ने आया। यह भेड़िया पहले दो सूअरों के घरों को तोड़ दिया जो पुआल और लाठियों से बने थे, और उन दोनों को खा गया।

फिर वह तीसरे सूअर के घर को तोड़ने की कोशिश करता है, लेकिन वह घर इतना मजबूत होता है कि उसे तोड़ने में नाकामयाबी होती है।

अंत में, भेड़िया हार मानकर भाग जाता है।

शिक्षा – मेहनत और सजगता से बने घर हमेशा सुरक्षित रहते हैं। आलसी बनने से हमेशा नुकसान होता है, लेकिन मेहनत से बने घर सदैव सुरक्षित रहते हैं।

23. मूर्ख चोर की कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, एक अमीर व्यापारी बीरबल से मदद मांगने के लिए राजा अकबर के दरबार में आया। उस व्यापारी के सामान की चोरी हो गई थी और उसे यह लगा कि उसके किसी नौकर ने उसे लूटा है। राजा ने बीरबल को इस मुश्किल स्थिति का हल निकालने का कार्य सौंपा।

बीरबल ने एक चतुर योजना बनाई और व्यापारी के सभी नौकरों को बुलाया। बीरबल ने प्रत्येक नौकर को समान लम्बाई की एक छड़ी दी और उन्हें कहा कि अगले दिन तक चोर की छड़ी दो इंच बढ़ जाएगी। ऐसा सिर्फ़ उसके साथ होगा जिसने चोरी की होगी।

अगले दिन बीरबल ने देखा कि एक नौकर की छड़ी दूसरों की तुलना में दो इंच छोटी थी। बीरबल को यह देखकर चोर का पता चल गया। इस प्रकार बीरबल ने सत्य और न्याय के माध्यम से असली चोर को पहचाना और न्याय की जीत हुई।

शिक्षा – सच्चाई और न्याय की हमेशा जीत होती है।

24. बहादुर छोटा चूहा की कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक छोटा चूहा रहता था जिसका नाम था जेरी। जेरी शायद छोटा दिखता था, पर उसका दिल बहुत बड़ा था और वह बहुत ही बहादुर भी था। अपने आकार के बावजूद, उसने हमेशा कुछ साहसिक करने का सपना देखा करता था, और दूसरों को यह सिखाने का इरादा रखता था।

एक दिन, गाँव में एक खौफनाक बिल्ली आई, जिससे सभी जानवर डर से कांप रहे थे। सभी डर के मारे हुए थे, वो अपना घर छोड़कर खाना इकट्ठा करने से भी डरने लगे। गाँव में उच्च स्तर का भय छा गया, जिससे सभी लोग भूखे पेट रहने लगे । इस परिस्थिति में, जेरी ने समझा कि उसे कुछ करना होगा अपने दोस्तों और गाँव को बचाने के लिए।

उसने सोचा कि बिल्ली को हराने के लिए एक योजना बनाए। जेरी ने एक चमकदार घंटी ढूंढ़ी और उसे अपनी पूंछ से बांध लिया। उसने फिर बिल्ली के घर में घुस कर उसकी आँखों के सामने जोरदार तहलका मचाया। जब बिल्ली उठकर देखी, तो उसने जेरी की दृढ़ता देखकर भाग लिया, और गाँव के जानवरों के लिए खतरा खत्म हो गया।

अब सभी जानवर जेरी की बहादुरी से प्रभावित हो गए और उसे उनके हीरो के रूप में माना गया।

शिक्षा – छोटा प्राणी बड़ा बदलाव ला सकता है अगर उसमें साहस और दृढ़ संकल्प हो।

25. एकता में बल है:

एक समय की बात है, एक किसान थे जिनके चार बेटे थे। लेकिन उनमें हमेशा झगड़ा-बहस होती रहती थी। किसान परेशान था क्योंकि उनकी लड़ाई-झगड़ों से बच्चे हमेशा उलझे रहते थे। एक दिन, उसने सोचा कि उन्हें कुछ सिखाना चाहिए।

उसने बच्चों को बुलाया और हर एक को एक छोटी सी लकड़ी दी। फिर उनसे कहा कि वह लकड़ी को तोड़कर दिखाएं। सभी बच्चे ने आसानी से लकड़ी को तोड़ दिया। फिर किसान ने उन सभी लकड़ियों को एक साथ बाँध दिया और फिर से कहा कि इस गठ्ठे को तोड़ने का प्रयास करें।

सब लड़कों ने बारी -बारी उस गट्ठे को तोड़ने का प्रयास किया। लेकिन बहुत कोशिश के बाबजूद कोई भी उन बंधी लकड़ियों को तोड़ नहीं पाया। किसान ने समझाया कि देखो बच्चों, जब लकड़ियाँ अलग-अलग थीं तो तुम लोगों ने उन्हें आसानी से तोड़ दिया। लेकिन जब वे एकजुट होकर एक गठ्ठे में बंध गईं तो तुम लोग उन्हें नहीं तोड़ सके।

तब किसान ने उन्हें समझाया कि एकता में बहुत शक्ति है। उसने कहा कि अगर तुम अलग-अलग रहोगे तो कोई भी तुम्हें नुकसान पहुँचा सकता है। लेकिन अगर तुम एकजुट हो जाओ तो कोई भी तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचा पाएगा। उस दिन से, बच्चों ने एक-दूसरे के साथ मेलजोल बनाए रखा और उनके बीच लड़ाई-झगड़े बंद हो गए।

शिक्षा – एकता में बहुत शक्ति है।

26. बन्दर और मगरमच्छ:

एक समय की बात है, एक नदी के किनारे एक जामुन का पेड़ था, जिस पर एक बंदर निवास करता था। उस बंदर का रोज़ का काम था जामुन खाना और जीवन का आनंद लेना। उस नदी में एक मगरमच्छ भी रहता था। एक दिन उस मगरमच्छ ने बंदर को जामुन खाते हुए देखा। उसने सोचा कि बंदर का दिल बहुत मीठा हो गया होगा और उसे खा लिया जाए।

मगरमच्छ बंदर से बोला, “भाई, मेरी पत्नी ने तुझे घर बुलाया है, वह तुझे भोजन करवाना चाहती है।” बंदर बहुत खुश हुआ और मगरमच्छ के साथ चलने के लिए तैयार हो गया। वह मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया और मगरमच्छ उसे नदी के बीच ले गया। लेकिन वहां मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि वह उसका दिल खाना चाहता है।

बंदर कुछ घबरा गया, लेकिन फिर उसने समझदारी से काम लिया। उसने कहा, “मगर भाई, तुमने पहले क्यों नहीं बताया। क्योंकि मैं अपने दिल को तो पेड़ के ऊपर ही छोड़ आया हूँ। मुझे वापस ले चलो तो मैं तुम्हें अपना दिल दूँगा।”

मगरमच्छ ने बंदर को फिर से किनारे पर ले आया। बंदर जल्दी से पेड़ पर चढ़ गया और मगरमच्छ से कहा, “अरे मूर्ख, तुम तो एहसान फरामोश दोस्त निकले। अब यहां से चले जाओ और कभी अपना मुँह मत दिखाना।”

शिक्षा – हमें कभी भी धोखेबाज लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

27. कछुआ और खरगोश:

एक समय की बात है, जंगल में एक कछुआ और एक खरगोश रहते थे। खरगोश को अपनी तेज गति पर गर्व था और वह कभी-कभी कछुए के स्लो स्पीड का मजाक उड़ाता था।

एक दिन, खरगोश ने कछुए से कहा कि उसकी स्पीड बहुत धीमी है और इसलिए वह जीवन में कुछ बड़ा नहीं कर सकता। कछुआ ने जवाब दिया कि स्पीड ही सब कुछ नहीं होती, धीरे-धीरे काम करके भी मंजिल प्राप्त की जा सकती है।

खरगोश ने कछुए से रेस लगाने का प्रस्ताव दिया। उस दिन की रेस में, खरगोश ने तेज दौड़ते हुए कछुए को आसानी से पीछे छोड़ा। कुछ समय बाद, खरगोश ने एक झिलमिलाहट में सोचा कि कछुआ बहुत है और उसे इस स्थिति में पहुंचने में बहुत समय लगेगा। इसलिए, वह एक पेड़ के नीचे आकर आराम से सो गया, फिर तेजी से दौड़कर उसे पीछे छोड़ सकता है।

यह सोच कर खरगोश पेड़ की छाया में सो गया और उसे गहरी नींद आ गई। जब उसने आंखें खोली, तो उसने देखा कि कछुआ रेस जीत चुका था।

शिक्षा – धीरे-धीरे और धैर्य से काम करने से हम अपनी मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं।

28. निडर बालक:

एक समय की बात है, एक राज्य में एक बादशाह था और वह बहुत ही क्रोधी स्वभाव का था और लोग उससे डरते थे। एक दिन, वह सुंदर कपड़े पहनकर महल से बाहर निकला, लेकिन उसने अपनी पेंट की जगह पजामा पहन ली। लोगों ने उसके पहनावे की तारीफ की, लेकिन ये तारीफ उसके क्रोध के डर की वजह से थी।

उसका मजाक उड़ा जा रहा था, पर उसे कोई नहीं बता रहा था कि वह पजामा पहना हुआ है। बादशाह खुश हो रहा था, पर उसकी पीठ पर लोग उसका मजाक उड़ा रहे थे। घूमते-घूमते एक छोटे से बच्चे ने उसे बताया कि उसने पजामा पहना हुआ है। बादशाह ने देखा और सच्चाई समझी।

बादशाह ने बच्चे की बहादुरी की सराहना की और उसे इनाम दिया। इसके बाद, उसने अपना क्रोध करना छोड़ दिया।

शिक्षा – हमें कभी भी डर के कारण झूठ नहीं बोलना चाहिए और सच्चाई की हिम्मत रखनी चाहिए।

29. दयालु लड़का:

एक बार एक लड़का स्कूल से वापस आ रहा था। एक जगह, वह अपना खाना खाने के लिए बैठ गया। तभी एक भूखे आदमी वहाँ आया।

वह आदमी उस लड़के से कहता है कि उसने कल से कुछ नहीं खाया है और क्या वह उसको थोड़ा खाना दे सकता है।

लड़का भी गरीब था और उसके पिताजी की नौकरी भी चली गई थी। लेकिन वह उस आदमी को यह कहता है कि मैं तो घर ही जा रहा हूँ और वहाँ खा लूँगा। इसके बाद, वह आपना खाना पूरा आदमी को दे देता है और घर की ओर बढ़ता है।

बाद में पता चलता है कि वह आदमी वास्तव में बहुत अमीर है और उसने सिर्फ लड़के की ईमानदारी की परीक्षा लेनी थी। उसके बाद, वह लड़के के घर जाता है, उसकी तारीफ करता है, और उसके पिताजी को अपनी फैक्ट्री में अच्छी नौकरी देता है।

शिक्षा – हमें हमेशा दूसरों के प्रति सहानुभूति और ईमानदारी बनाए रखनी चाहिए।

30. बुद्धिमान लड़की:

एक बार एक राजा अपने मंत्री को उबले हुए अंडे देता है और कहता है कि एक महीने में इनसे मुर्गियाँ निकाल कर बताओ। मंत्री यह सुनकर बहुत परेशान हो जाता है। लेकिन वह उन अंडों को घर ले जाता है। घर पर उसे उदास देखकर उसकी बेहद समझदार बेटी पूछती है कि पिताजी क्या हुआ। मंत्री उसे सारी कहानी बताता है।

यह सुनकर लड़की कहती है कि आप उदास मत होइए। फिर वह लड़की कुछ मटर उबालती है और अपने पिता को देती है। फिर पिता से कहती है कि ये उबले मटर राजा को देना। और कहना कि जब मैं उबले अण्डों से मुर्गियाँ निकाल लूँगा तो उन्हें खिलाने के लिए कुछ नहीं है।

इसलिए इन मटर के दानों से आप और मटर ऊगा कर दे दीजिये। अगले दिन मंत्री राजा के पास जाता है और वैसा ही करता है। लेकिन राजा उससे कहता है कि क्या कभी उबले मटर से भी पौधे लग सकते हैं ? इस पर मंत्री कहता है कि महाराज अगर उबले हुए अंडे से चूजे निकल सकते हैं तो उबले मटर से पौधे क्यूँ नहीं निकल सकते हैं।

राजा मंत्री की बुद्धिमत्ता से बहुत प्रभावित होता है। लेकिन मंत्री कहता है कि यह बुद्धिमानी उसकी बेटी की है। इसके बाद राजा उसकी बेटी को बुलाकर उसकी प्रशंसा करता है और उसे उचित इनाम भी देता है।

शिक्षा – हर समस्या को बुद्धिमानी से सुलझाया जा सकता है। इसलिए किताबें पढ़कर हमें अपनी बुद्धि को विकसित करते रहना चाहिए।

The Final Verdict

दोस्तों, ये थीं सबसे बेहतरीन नैतिक शिक्षा देने वाली Top 30 Hindi Short Stories In Hindi कहानियाँ। मुझे आशा है कि आपके बच्चों को ये पसंद आएँगी। आप उन्हें पढ़ें और बच्चों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। क्योंकि पुस्तकें ही हमें ज्ञान देती हैं। धन्यवाद।

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