स्वामी विवेकानंद जी के विचार (Top 70 Swami Vivekananda Thoughts in Hindi) –
Swami Vivekananda Thoughts, स्वामी विवेकानंद जी एक महान विचारक एवं समाज सुधारक थे. स्वामी जी ने भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म से पूरे विश्व को परिचित कराया.स्वामी जी हमेशा से युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं क्योंकि उन्होंने हमेशा अपने विचारों से युवाओं को नयी उर्जा प्रदान किया है.
स्वामी जी को वेद एवं उपनिषद के महान ज्ञाता थे एवं वे अपना अधिकतर समय पढ़ने में ही बिताते थे. ये उनकी शिक्षा का ही असर था कि गुलामी के समय उन्होंने भारत के मनुष्यों के अन्दर राष्ट्रवाद जगाया एवं सभी के अन्दर एकता स्थापित किया. इस तरह से हम कह सकते हैं कि विवेकानंद जी भारत की आजादी में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है.
स्वामी विवेकानंद जी ने कर्म योग, राज योग, भक्ति योग, ज्ञान योग जैसी किताबों के माध्यम से अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाया. स्वामी जी शिक्षा के महत्त्व को भलीभांति समझते थे एवं वे चाहते थे सारे भारतीय इस महत्त्व को समझें.
आज के इस आर्टिकल में हम आपको स्वामी विवेकानंद जी के कुछ अनमोल विचारों से परिचित करायेंगे, जिन्हें हरेक व्यक्ति को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए ताकि आप कर्मठ एवं ओजस्वी बनें एवं राष्ट्रविकास में अपना योगदान दे सकें.
>> Swami Vivekananda Thoughts in Hindi
पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता ये तीनों सफलता के लिए आवश्यक है लेकिन इन सबसे ऊपर प्यार है.
संभव की सीमा जानने का एक ही तरीका है, असंभव से भी आगे निकल जाना.
हम भगवान् को खोजने कहाँ जा सकते हैं, अगर उनको अपने दिल और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते.
वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता.
धर्म ही हमारे राष्ट्र की जीवन शक्ति है. यह शक्ति जब तक सुरक्षित है, तब तक विश्व की कोई भी शक्ति हमारे राष्ट्र को नष्ट नहीं कर सकती.
अनेक देशों में भ्रमण करने के पश्चात में मैं इस निष्कर्ष में पहुंचा हूँ कि संगठन के बिना इस संसार में कोई भी महान एवं स्थाई कार्य नहीं किया जा सकता.
यह मत भूलो कि बुरे विचार और बुरे कार्य तुम्हें पतन की ओर ले जाते हैं. इसी तरह अच्छे विचार एवं अच्छे कर्म लाखों देवदूतों की तरह अनंतकाल तक तुम्हारी रक्षा करने के लिए तत्पर हैं.
हर काम को तीन अवस्थाओं से गुजरना होता है – उपहास, विरोध और स्वीकृति.
अगर परिस्थितियों में आपकी मजबूत पकड़ है तो जहर उगलने वाला भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो. तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो. तुम तत्व नहीं हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो.
>> युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद के विचार (Swami Vivekananda Thoughts for Youth) –
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है.
जो भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो.
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है. विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है.
विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं. चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो.
पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है फिर विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार लिया जाता है.
एक अच्छे चरित्र का निर्माण हजार बार ठोकर खाने के बाद ही होता है.
हम जो बोते हैं वो काटते हैं, हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं.
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते.
सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी वह एक सत्य ही होगा.
>> स्वामी विवेकानंद जी का शिक्षा पर विचार (Swami Vivekananda Thoughts on Education) –
शिक्षा क्या है? क्या वह पुस्तक-विद्या है? नहीं. क्या वह नाना प्रकार का गया है? नहीं, यह भी नहीं. जिस संयम के द्वारा इच्छाशक्ति का प्रवाह और विकास वश में लाया जाता है और वह फलदायक होता है, वह शिक्षा कहलाती है.
हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैर पर खड़ा हो सके.
अनुभव ही आपका सर्वोत्तम शिक्षक है, जब तक जीवन है सीखते रहो.
शिक्षा का अर्थ है उस पूर्णता को व्यक्त करना जो सब मनुष्यों में पहले से विद्यमान है.
ज्ञान का प्रकाश सभी अंधेरों को ख़त्म कर देता है.
पढने के लिए जरूरी है एकाग्रता. एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान. ध्यान से ही हम इन्द्रियों में संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं.
जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है.
जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों की सामंजस्य कर सकें. वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है.
शिक्षा व्यक्ति में अन्तर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है.
मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है.
>> स्वामी विवेकानंद जी के सुविचार
उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता.
मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूँ, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है. हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार्य करते हैं.
हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसीलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण है, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.
किसी चीज से डरो मत. तुम अद्भुत काम करोगे. यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है.
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है. यह अग्नि का दोष नहीं है.
यह दुनिया है; यदि तुम किसी का उपकार करो, तो लोग उसे कोई महत्त्व नहीं देंगे. किन्तु ज्यों ही तुम उस कार्य को बंद कर दोगे, वे तुरंत तुम्हें बदमाश प्रमाणित करने में नहीं हिचकिचाएंगे.
एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकि सब कुछ भूल जाओ.
हर आत्मा ईश्वर से जुड़ी है, करना ये है कि हम इसकी दिव्यता को पहचाने अपने आप को अंदर या बाहर से सुधारकर. कर्म, पूजा, अंतर मन या जीवन दर्शन इनमें से किसी एक या सब से ऐसा किया जा सकता है और फिर अपने आपको खोल दें. यही सभी धर्मो का सारांश है. मंदिर, परंपराएं , किताबें या पढ़ाई ये सब इससे कम महत्वपूर्ण है.
एक विचार लें और इसे ही अपनी जिंदगी का एकमात्र विचार बना लें. इसी विचार के बारे में सोचे, सपना देखे और इसी विचार पर जिएं. आपके मस्तिष्क , दिमाग और रगों में यही एक विचार भर जाए. यही सफलता का रास्ता है. इसी तरह से बड़े बड़े आध्यात्मिक धर्म पुरुष बनते हैं.
पीड़ितों की सेवा के लिए आवश्यकता पड़ने पर हम अपने मठ की भूमि तक भी बेच देंगे. हजारों असहाय नर नारी हमारी नजरों के सामने कष्ट भोगते रहें और हम मठ में रहें, यह असंभव है. हम सन्यासी हैं, वृक्षों के नीचे निवास करेंगे और भिक्षा मांगकर जीवित रह लेंगे.
>> Swami Vivekananda Quotes in Hindi
यह देश धर्म, दर्शन और प्रेम की जन्मभूमि है. यह सभी चीजें अभी भी भारत में विद्यमान हैं. मुझे इस दुनिया की जो जानकारी है, उसके बल पर द्रढ़तापूर्वक कह सकता हूँ कि इन बातों में भारत अन्य देशों की अपेक्षा अब भी श्रेष्ठ है.
प्रेम विस्तार है, स्वार्थ संकुचन है. इसीलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है. वह जो प्रेम करता है जीता है. वह जो स्वार्थी है मर रहा है.
बल ही जीवन है और दुर्बलता मृत्यु.
अगर स्वाद की इन्द्रियों को ढील दी, तो सभी इन्द्रियाँ बेलगाम दौड़ेगी.
भय और अपूर्ण वासना ही समस्त दुखों का मूल है.
किसी की निंदा न करें. अगर आप किसी की मदद के लिए हाँथ बढ़ा सकते हैं तो जरूर बढ़ाएं. अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाँथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें अपने मार्ग पर जाने दीजिये.
जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा ह्रदय पवित्र हो जाता है और भगवान् उसमें बसता है.
धर्म कल्पना की चीज नहीं है, प्रत्यक्ष दर्शन की चीज है. जिसने एक भी महान आत्मा के दर्शन कर लिए वह अनेक पुस्तकी पंडितों से बढ़कर है.
इच्छा का समुद्र हमेशा अतृप्त रहता है. उसकी मांगें ज्यों-ज्यों पूरी की जाती हैं, त्यों-त्यों और गर्जन करता है.
मष्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के सामान हैं. जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं.
यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता.
मनुष्य जितना अपने अन्दर से करुणा, दयालुता और प्रेम से भरा होगा, वह संसार को भी उसी तरह पायेगा.
यदि संसार में कहीं कोई पाप है तो वह है दुर्बलता. हमें हर प्रकार की कमजोरी या दुर्बलता को दूर करना चाहिए. दुर्बलता पाप है, दुर्बलता मृत्यु के सामान है.
कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा अधर्म है. अगर कोई पाप है, तो वह यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं.
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी जल्दी छुटकारा मिल जाए उतना बेहतर है.
अभय हो! अपने अस्तित्व के कारक तत्व को समझो, उस पर विश्वास करो. भारत की चेतना उसकी संस्कृति है. अभय होकर इस संस्कृति का प्रचार करो.
दिन-रात अपने मष्तिष्क को उच्चकोटि विचारों से भरो. जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा होगा.
जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी.
आकांक्षा, अज्ञानता और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं.
>> स्वामी विवेकानंद जी के प्रेरणादायक विचार
धर्म ही हमारे राष्ट्र की जीवन शक्ति है. यह शक्ति जब तक सुरक्षित है, तब तक विश्व की कोई भी शक्ति हमारे राष्ट्र को नष्ट नहीं कर सकती.
दिन-रात अपने मष्तिष्क को उच्चकोटि विचारों से भरो. जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा होगा.
केवल उन्हीं का जीवन, जीवन है जो दूसरों के लिए जीते हैं. अन्य सब तो जीवित होने से अधिक मृत हैं.
जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी.
दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ठ व्यक्ति के साथ एक बैठक गवां देंगे.
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका अविष्कार करता है.
पवित्रता, धैर्य और उद्यम – ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूँ.
जहां दुर्बलता और जड़ता है, वहां क्षमा का कोई मूल्य नहीं, वहां युद्ध ही श्रेयस्कर है. जब तुम यह समझो कि सरलता से तुम विजय प्राप्त कर सकते हो, तभी क्षमा करना. संसार युद्धक्षेत्र है. युद्ध करके ही अपना मार्ग साफ़ करो.
अच्छे अभिप्राय, निष्कपटता और अनंत प्रेम विश्व को जीत सकते हैं. इन गुणों से युक्त एक आत्मा लाखों पाखंडियों और पाशविकों की काली योजनाओं को नष्ट कर सकती हैं.
जब लोग तुम्हें गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो. सोचो, कि तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं.
अंतिम शब्द –
दोस्तों, जैंसा कि हमने Top 70 Swami Vivekananda Thoughts in Hindi आर्टिकल में आपका स्वामी विवेकानंद जी के तरह तरह के विचारों से परिचय कराया है. स्वामी विवेकानंद जी आध्यात्मिक, ज्ञानपूर्ण, तेजस्वी एवं सन्यासी व्यक्ति थे.
स्वामी जी के जीवन एवं विचारों से आपको काफी कुछ सीखने को मिलेगा. इस आर्टिकल को अपने दोस्तों एवं सम्बन्धियों को शेयर जरूर करें ताकि वे भी स्वामी जी के विचारों को पढ़कर लाभ अर्जित कर सकें.
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