Chittorgarh Fort History in Hindi: भारत का इतिहास काफी पुराना और प्रचलित है। हमारे देश में पहले बहुत से ऐसे वीर विरांगना ने जन्म लिए और इसी वजह से भारत के भूमि वीरों की भूमि कहलाती है। आज के इस आर्टिकल में ऐसे ही एक प्राचीन और प्रसिद्ध जगह के बारे में बताने वाले है जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे।
तो दोस्तो आज के इस आर्टिकल मैं हम जानेंगे की Chittorgarh fort history in hindi, चित्तौड़गढ़ किले के इतिहास के बारे में और चित्तौड़गढ़ किले से जुड़े कुछ रोचक जानकारी भी शेयर की है।
तो आइए जानते है….
Chittorgarh Fort History in Hindi (चितौड़गढ़ किले का इतिहास) –
चितौड़गढ़ किला (दुर्ग) भारत के प्राचीन दुर्गों में से एक है, राजस्थान में चितौड़गढ़ किला देखने के लिए हर साल लाखों सेलानी आते हैं।
वैसे तो राजस्थान के राजाओं की धरती कहा जाता है और राजस्थान में अनेक इतिहास मौजूद है। चितौड़गढ़ किला भारत की राजधानी दिल्ली से 600 किलोमीटर दूर है और राजस्थान की राजधानी जयपुर से 300 किलोमीटर दूर है।
चितौड़गढ़ का इतिहास काफी प्राचीन और अनसुलझा है. चितौड़गढ़ का नाम मौर्य वंश के शासक चित्रांगद के नाम पर रखा गया है। चितौड़गढ़ अपने आप में राजपूतों, सिसोदिया वंश इत्यादि महान शासकों की गाथा संजोगी हुए है।
चितौड़गढ़ के किले का इतिहास?
- चितौड़गढ़ का किल्ला कहां स्तिथ है : चितौड़गढ़, राजस्थान, भारत।
- चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण कब हुआ?: 5वीं-7वीं शताब्दी में माना गया है।
- चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण किसने करवाया?: मौर्य शासकों द्वारा
- चित्तौड़गढ़ किले की ख्याति: राजपूतों के साहस, बलिदान और वीरता का प्रतीक
इतिहासकारों के अनुसार चितौड़गढ़ किला कब बनवाया गया इसका कोई साक्ष्य नहीं है, हाँ सातवीं शताब्दी के इतिहास में इस किल्ले का जिक्र है।
इतिहासकारों के अनुसार यह किला महाभारतकाल में निर्मित किला है। माना यह भी जाता है की इसका निर्माण पांडवों में सबसे शक्तिशाली भीम द्वारा किया गया था। यहाँ दुर्ग के पूर्व में एक पहाड़ी है जो भीम के आकार की है, कहा जाता है की भीम ने यहाँ विश्राम किया था।
कुछ लोग इसे भगवान बुद्ध की प्रतिमा बताते हैं। लेकिन सातवी शताब्दी में मोर्य वंश ने इस किले की कमान संभाली या इसका जीर्णोद्धार किया उसके बाद इस किले के निर्माता के रूप में मौर्य वंश को पहचान मिली।
चितौडगढ़ किले से संबधित अनेक जानकारियां आज भी अधूरी है, कुछ इतिहासकारों के अनुसार चितौडगढ़ किले का निर्माण महाराज बाप्पा रावल ने 8वीं सदी में करवाया था।
लेकिन एक सत्य यह भी है की वे यहाँ के राजा नहीं थे उन्होंने यहाँ की राजकुमारी सोलंकी वंश से शादी की थी और त्रिकुट के राजा बने थे। उनके बाद इस किले की कमान महाराणाप्रताप, गोरा-बादल, महाराणा कुंभा, महाराणा सांगा जैसे वीर योद्धाओं ने भी संभाली है।
चितौड़गढ़ किले का क्षेत्रफल कितना होगा?
चितौडगढ़ किला क्षेत्रफल की दृष्टि से एशिया का सबसे बड़ा किला है, इसलिए कहा जाता है की गढ़ तो चितौड़गढ़ है, बाकी तो सब गढिया है।
यह किल्ला 691 एकड़ यानि 280 हेक्टेयर में बना हुआ है। जमीन से इसकी उंचाई 108 मीटर है। यह एक पहाड़ी पर बना हुआ है इस पहाड़ी को चित्रकूट पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। इस किले में 80 कुंड (जलाशय) थे लेकिन अभी मात्र 30 कुंड ही है।
चितौड़गढ़ किले पर अभी तक हुए आक्रमण के बारे में जानकारी
चितौड़गढ़ किला आज भी जैसा का तैसा है लेकिन, इस किले पर अनेक आक्रमण हुए है और समय-समय पर यह अलग-अलग राजाओं के अधीन भी हुआ है।
अगर हम चितौड़गढ़ किले पर हुए आक्रमण की बात करें तो वह इस प्रकार है…
गुहिल राजवंश द्वारा किया गया आक्रमण –
चितौड़गढ़ किले पर सबसे पहले अगर आक्रमण गुहिल राजवंश के बप्पा रावल द्वारा किया गया था। सन् 724 में बप्पा रावल ने मौर्य वंश से युद्ध में इस किले को जीत लिया था।
लेकिन बाद में यहाँ की राजकुमारी से विवाह करके इस किले को ज्यों का त्यों छोड़ दिया। लेकिन इसपर अधिकार बप्पा रावल गुहिल वंश का ही रहा।
मालवा राजवंश द्वारा किया गया आक्रमण –
चितौड़गढ़ दुर्ग को गुहिल वंश से मालवा राजवंश के राजा मुंज ने गुहिलों को युद्ध में हारकर इस किले पर अपना कब्जा जमा लिया। लेकिन उनका कब्जा बहुत कम समय के लिए था उनसे राजा सिद्धार्थ जयसिंह ने हथिया लिया था।
गुहिलों द्वारा किया गया आक्रमण –
राजा जय सिंह से गुहिलों ने 12वीं शताब्दी में इस किले को एक बार फिर युद्ध में जीत लिया था और अपना अधिपत्य स्थापित किया।
अल्लाहुदीन खिलजी द्वारा किया गया आक्रमण –
इतिहास में इस आक्रमण की चर्चा आज भी होती है 1303 ई. में खिलजी ने इस किले पर आक्रमण किया। उस समय यहाँ पर गुहिलों का ही अधिपत्य था और राजा रावल रतन सिंह का यहाँ राज था।
इस किले में 7 ऐसे दरवाजे थे जिन्हें भेदना आसान नहीं था लेकिन खिलजी ने इस राज्य के चारों और अपनी सेना बिछा दी थी। जिसकी वजह से किले के अंदर अन्न की कमी आने लगी और करीब 7 महीने बाद युद्ध हुआ।
इस युद्ध में राजा रावल रतन सिंह और उनके बहादुर साथी गौरा-बादल शहीद हो गये। इस किले पर उसके बाद खिलजी का अधिकार हो गया। लेकिन कुछ समय बाद इस किले पर राजपूतों का अधिपत्य हो गया था।
बहादुरशाह द्वारा किया गया आक्रमण –1535 में इस किले पर गुजरात के राजा बहादुरशाह ने आक्रमण किया और उस समय इस किले पर राज राजा विक्रमजीत सिंह का था।
उन्हें हराकर इस किले पर बहादुरशाह ने अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया था। बहादुर शाह को हराकर महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह ने इस किले को अपना बना लिया था। इस किले में घूम-फिरकर बार-बार राजपूतों का शासन रहा।
मुगल बादशाह अकबर का आक्रमण –1567 में अकबर अपनी विशाल सेना के साथ चितौड़ आया और यहाँ गढ़ के चारों तरफ अपनी सेना बैठा दी, उस समय राजा उदय सिंह ने युद्ध ना करने की सलाह लेते हुए।
वहां से चुपके से निकलकर बाहर जाने का प्लान बनाया और अपनी सेना और अन्य लोगों को लेकर उदयपुर नामक राज्य की स्थापना की आज उदयपुर राजस्थान का सबसे दर्शनीय स्थलों में से एक है।
पीछे से राजा के विश्वसनीय सैनिको ने अकबर से युद्ध किया और वीरगति को प्राप्त हो गये। इस किले पर अब अकबर का राज था।
चितौडगढ़ के किले में हुए एतिहासिक संरचनाए एंव विशेषता –
अभी तक हमने Chittorgarh Fort History in Hindi, के कुछ भाग को जाना अब इसके बारे में जानते हैं।
भारत के इस विशाल किले में अनेक ऐसी एतिहासिक चीजें मौजूद है जो इसे और भी विशाल और दर्शनीय बनाती है जैसे –
किले में मौजूद 7 दरवाजे –
किले में अंदर जाने के लिए सात दरवाजे पार करने पड़ते हैं। इन दरवाजों का नाम – पेंडल पोल, गणेश पोल, लक्ष्मण पोल, भैरो पोल, जोरला पोल, हनुमान पोल और राम पोल है।
इन सात दरवाजों के बाद एक मुख्य दरवाजा आता है जिसका नाम सूर्य पोल है। सूर्य पोल दरवाजे को जब खिलजी ने पार किया तो वहां मौजूद सभी स्त्रियों ने महारानी पद्मावती के साथ जौहर किया था।
मंदिर एंव हवेलियाँ –
किले के अंदर 19 मंदिर है, 4 महल परिसर है, 4 स्मारक बने हुए है। इनके आलावा यहाँ पर रानी पद्मनी महल, खाताना रानी महल, गोरा बादल की घुमरे, राव रणमल की हवेली, सूर्यकुंड, पत्ता-जैमल की हवेलियाँ, जोहर स्थल, कालिका माता मंदिर, मीरा बाई और कुम्भश्याम का मंदिर भी मौजूद है।
विजय स्तंभ –
किले के अंदर विजय स्तंभ बना हुआ है, यह करीब 38 मीटर ऊँचा है। इस स्तंभ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था। जब उन्होंने मोहम्मद शाह खिलजी को परास्त किया था उसके जश्न में इस स्तंभ का निर्माण करवाया गया। आपको बता दूँ की इसका निर्माण करने में 10 वर्ष लगे थे।
राणा कुम्भा महल –
13वीं शताब्दी में राणा कुम्भा महल का निर्माण करवाया गया यह सबसे प्राचीन स्मारक माना जाता है। इसके अंदर ही महान कवि रहा करते थे जिनमे मीरा बाई भी शामिल थी।
यहीं से नजदीक एक तहखाना है और इसमें एक सुरंग बनी हुई है जो गौमुख कुंड तक जाती है। पद्मावती ने इसी सुरंग से निकलकर कुंड में स्नान करके जौहर किया था.
महारानी पद्मनी महल –
किले के दक्षिण में स्थित महारानी पद्मनी महल काफी आकर्षित करने वाला है। यह महल एक सुंदर सरोवर के पास बना हुआ है और यह तीन मंजिला है जिसमे एक मंजिल पर मंडप सजाया हुआ है। यह काफी आकर्षित करने वाला महल है।
जौहर स्थल –
किले में एक जौहर स्थल भी मौजूद है। यहाँ पर महारानी कर्णावती ने 13000 स्त्रियों के साथ जौहर किया था।
उसके बाद इस जगह का नाम महासती स्थल रखा गया। यह एक मैदान में बना हुआ है और चारों तरफ दीवारें है। उत्तर-पूर्व में दो द्वार है जहाँ से इसमें प्रवेश लिया जाता है।
चितौड़गढ़ के किले में हुए जौहर –
चितौड़गढ़ किले में अनेक रानियों ने जौहर किया है, अलग-अलग वर्ष में अपने सतीत्व को बचाने के लिए रानियों ने अपनी प्रजा के साथ शरीर का बलिदान दिया है। यहाँ पर जौहर कब और किसने किया इसकी जानकारी इस प्रकार है –
रानी पद्मनी :- 1303 में रानी पद्मनी ने अल्लाउदीन खिलजी से युद्ध करते हुए रावल रतन के शहीद होते ही 16000 दासियों के साथ इस महल में जौहर किया था।
रानी कर्णावती :-1535 में रानी कर्णावती ने बहादुर शाह के आक्रमण में हार जाने के बाद रानी ने अपनी 13000 दासियों के साथ यहाँ जौहर स्थल में जौहर किया था।
रानी फुलकंवर :-1567 में रानी फुलकंवर ने अकबर से युद्ध में हार जाने के बाद हजारों दासियों के साथ जौहर किया था। रानी फुलकंवर महाराज पत्ता की पत्नी थी। वैसे तो इतिहास में अकबर को अच्छा बताया गया है लेकिन यह सत प्रतिशत सत्य नही है।
चितौड़गढ़ किले से जुड़े कुछ रोचक तथ्य –
चितौड़गढ़ किले से जुड़ी कुछ अद्भुत और रोचक बातें भी है जो इस तरह है –
- कहा जाता है की इस दुर्ग में प्राचीन समय में एक लाख से भी ज्यादा लोग निवास करते थे।
- इस किले को वर्ल्ड हेरीटेज साइट में शामिल किया गया है।
- यह किला कभी मेवाड़ की राजधानी हुआ करता था।
- माना जाता है की इस किले का निर्माण पांड्वो के भाई भीम ने एक रात में किया था।
- यह किला इस तरह बनाया गया है की अगर दुश्मन हाथी, ऊंट या फिर घोड़े पर है फिर भी इस किले के अंदर नहीं देखा जा सकता है।
- इस किले को महिलाओं का प्रमुख जौहर माना जाता है।
- चितौड़गढ़ किला मछली के आकार के भाँती प्रतीत होता है।
चितौड़गढ़ का किला जितने के बाद खिलजी ने पुरे भारत में दहशत मचा दी थी, अनेक राजाओं ने संव्य आकर खिलजी से हार मान ली थी।
चितौड़गढ़ किले तक कैसे पहुंच सकते है?
यदि आप चितौड़गढ़ किला देखना चाहते है और यहाँ आना चाहते है तो यहाँ आप वायुमार्ग, रेलमार्ग और सड़कमार्ग से आ सकते है।
यहाँ सबसे नजदीक उदयपुर हवाई अड्डा है जो चितौड़ से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। अगर आप रेल मार्ग या सड़कमार्ग से आते है तो आप चितौड़गढ़ आसानी से आ सकते हैं।
Frequently Asked Questions-
Q.1: चितौड़गढ़ किला भारत की राजधानी दिल्ली से कितनी दूर हैं?
Ans: चितौड़गढ़ किला भारत की राजधानी दिल्ली से 600 किलोमीटर दूर है और राजस्थान की राजधानी जयपुर से 300 किलोमीटर दूर है।
Q. 2: चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण कब हुआ?
Ans: 5वीं-7वीं शताब्दी में माना गया है।
Q. 3: चितौडगढ़ के किले में कितने दरवाजे हैं?
Ans: किले में कुल 7 दरवाज़े मौजूद है जिनके नाम हैं, पेंडल पोल, गणेश पोल, लक्ष्मण पोल, भैरो पोल, जोरला पोल, हनुमान पोल और राम पोल है।
Q. 4: बहादुरशाह ने चित्तौड़गढ़ किले पर कब आक्रमण किया था?
Ans: गुजरात के राजा बहादुरशाह ने चित्तौड़गढ़ किले पर सन 1535 में इस किले पर आक्रमण किया था।
Final Conclusion:
चितौड़गढ़ किले का इतिहास यहाँ हमने चितौड़गढ़ किले के इतिहास एंव उससे जुड़ी अनेक जानकारियों के बारें में बताया है। आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताएं।
अगर आप चितौड़ कभी आये है तो आपको यहाँ सबसे अच्छी चीज कौनसी लगी। अगर नहीं आये है तो कमेंट में बताएं की आपका यहाँ आने का प्लान कबका है।
तो उम्मीद करते है कि आपको यह Chittorgarh Fort History in Hindi, में पूरी जानकारी मिल चुकी होगी, यदि आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे।